- माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने प्रधानमंत्री से हुई वार्ता में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया.
- केंद्रीय सूची में तकरीबन 1 करोड़ सूरजापूरी आबादी की जाति निर्धारित नहीं, महबूब आलम ने उठाया सवाल.
पटना 23 अगस्त, जाति गणना पर बिहार के सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री के साथ आज हुई बैठक में माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने भाकपा-माले का प्रतिनिधित्व किया और जाति गणना के संबंध में अपने तर्कों से प्रधानमंत्री को अवगत करवाया. उन्होंने कहा कि 1931 के बाद कोई जाति गणना हुई ही नहीं. जबकि इस बीच आबादी की संरचना में बड़ा बदलाव आया है. सामाजिक तौर पर दलित-पिछड़ी जातियों के उत्थान संबंधी योजनाओं और आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जाति गणना बेहद आवश्यक है. अभी तक इस समुदाय के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण है. लेकिन सामाजिक विज्ञानियों का मत है कि यह आबादी लगभग 70 प्रतिशत है. कुछेक लोग तो इससे भी ज्यादा मानते हैं. अतः दलित-पिछड़े समुदाय की जनसंख्या का सही निर्धारण और उसी के अनुसार आरक्षण व सरकारी योजनायें तभी बनाई जा सकती हैं, जब जाति आधारित गणना होगी. उन्होंने यह भी कहा कि यह जाति गणना सभी धर्मावलंबी समुदायों में होनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि मुस्लिम समुदाय में जाति व्यवस्था नहीं है. बिहार के सीमांचल में रहने वाली तकरीबन 1 करोड़ सूरजापूरी आबादी को बिहार सरकार तो ओबीसी के दायरे में मानती है, लेकिन केंद्र सरकार की सूची में यह बड़ी आबादी कहीं भी चिन्हित नहीं की गई है. जिसके कारण इस समुदाय को सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाना पड़ता है. इसलिए हम चाहते हैं कि बिना किसी भेदभाव के सभी धर्म मानने वालों की जाति आधारित गणना की जाए. माले विधायक दल नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव सहित सभी दलों के नेताओं की बातों को गंभीरता से सुना. हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री से हुई इस मुलाकात के बाद जाति गणना की दिशा में सकरात्मक कदम उठाये जाएंगे.
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