नयी दिल्ली, 12 अगस्त, भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने जजों के कथित आरामतलबी जीवन की भ्रांतियों को दरकिनार करते हुए गुरूवार को कहा कि जज छुट्टियों में भी कार्य करते हैं, मुकदमों का अध्ययन करते हैं और सैकड़ों पन्नों के फैसले लिखते हैं। न्यायमूर्ति रमन ने अपने साथी न्यायाधीश रोहिंगटन फली नरीमन के विदाई समारोह में कहा कि आम आदमी के मन में यह भ्रांति बनी रहती है कि जज बड़े बंगलों में रहते हैं, 10 से चार बजे तक की ड्यूटी करते हैं और छुट्टियों का मजा लेते हैं, लेकिन यह आख्यान झूठा है। उन्होंने कहा, “हर हफ्ते 100 से अधिक मामलों की तैयारी करना, नयी नयी दलीलों को सुनना, स्वतंत्र शोध करना और निर्णय को लिखना आसान नहीं है, जबकि एक जज, विशेषकर वरिष्ठ जज, के रूप में विभिन्न प्रशासनिक कर्तव्यों को भी पूरा करना होता है, विशेष रूप से एक वरिष्ठ जज को। हम या तो आधी रात तक नींद खराब करते हैं, या सूर्योदय से पहले उठते हैं, या कभी-कभी अपने न्यायिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए दोनों करते हैं।” मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम अदालत की छुट्टियों के दौरान भी काम करना जारी रखते हैं, शोध करते हैं और लंबित निर्णय लिखते हैं। इसलिए, जब जजों के कथित आसान जीवन के बारे में झूठे आख्यान बनाए जाते हैं, तो इसे निगलना मुश्किल होता है।” उन्होंने बार से आग्रह किया कि वह इन झूठे आख्यानों का खंडन करें और जनता को सीमित संसाधनों से जजों द्वारा किये गये कार्यों के बारे में शिक्षित करे, क्योंकि जजों की मजबूरी है कि वे आगे आकर अपना बचाव नहीं कर सकते। इस अवसर पर न्यायमूर्ति नरीमन ने न्यायिक नियुक्तियों में योग्यता को प्रमुख कारक बनाये जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि आम आदमी या वादकारियों को अदालतों से न्याय की उम्मीद होती हैं, जिसके लिए नियुक्तियों में योग्यता प्रमुख होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास कुमार सिंह ने भी इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त किये। एसोसिएशन ने ही न्यायमूर्ति नरीमन का विदाई समारोह आयोजित किया था।
शुक्रवार, 13 अगस्त 2021
जजों के आरामतलबी होने की भ्रांतियां दूर करे बार : सीजेआई
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