भारत ने आज आजादी के 75 साल बाद खाद्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी काफी प्रगति की है और देश की बढ़ती आबादी की चुनौतियों के बीच आत्मनिर्भरता की राह तैयार करते हुए किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ दूसरी कृषि क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत ने जहां अपनी सवा सौ करोड़ से ज्यादा की आबादी को खाद्य सुरक्षा गारंटी का कवच दिया है वहीं दुनिया के जरुरतमंद मुल्कों को सस्ते दर पर अनाज भी निर्यात करने का काम किया है। सूचना, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी भारत ने इन 75 सालो में पूरी दुनिया से अपना लोहा मनवाया है। भारत आज परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत का ही नतीजा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो की गिनती दुनिया के शीर्ष अंतरिक्ष अनुंसधान संगठनों में होती है। इसरो को आज न केवल किफायती बल्कि सटीक और दक्ष मिशनों के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि दुनिया के तमाम विकसित देश भी अपने उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए इसरो की शरण में आते हैं। एक बार 104 छोटे-बड़े उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का कीर्तिमान भी इसरो जैसे संस्थान ने बनाया है। हमारे मंगलयान और चंद्रयान जैसे अभियान ने हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान में चार चांद लगाए हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकाशं उपलब्धिया स्वदेशी तकनीक के दम पर हासिल की है।
देश ने 100 फीसदी घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य हासिल किया और लगातार केंद्र सरकार की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि 2022 तक देश के हर परिवार के सर पर अपना छत हो। इस दिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण) के जरिये युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के जरिये हर परिवार को गैस चुल्हा देने का काम किया जा रहा है, ताकि महिलाओं को चुल्हे के धुएं से मुक्ति मिले और पर्यावरण की रक्षा हो। इस अभियान का एक बड़ा फायदा महिलाओं के स्वास्थ्य में भी देखने को मिल रहा है। खुले में शौच भारत के लिए एक अभिशाप की तरह था, जिसे अब लगभग खत्म कर दिया गया है। देश के हर परिवार के पास अपना शौचालय है और स्वच्छता की दिशा में भी देश में जनआंदोलन के जरिए एक बड़ा बदलाव दिख रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत के कई संस्थानों ने दुनिया के बड़े विश्वविद्यालयों के सामने अपनी पहचान स्थापित की है और आज हमारे कई संस्थान टॉप 100 की सूची में जगह बना रहे हैं। कई क्षेत्र अभी ऐसे हैं जिनमें काफी कुछ किया जाना बाकी है। लेकिन एक बात तो साफ है कि भारत ने आजादी के सफर को संघर्ष के साथ चलते हुए सुहाना बनाया है और आने वाले दिनों में एक बार फिर कहा जा सकेगा कि भारत सोने की चिड़िया है।
(विनय कुमार, वरिष्ठ पत्रकार)
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