इस बीच परिजन केन्द्र और राज्य सरकार की दुरंगी घोषणा के शिकार हो गये.प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता कोष से प्रति मृतक के परिजन को मो0 1,00,000 एक लाख रूपये , आपदा प्रबंधन विभाग से प्रति मृतक के परिजनों को 1,00,000एक लाख रूपये और मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रति मृतक के परिवार को 50,000 पचास हजार रूपये की दर से राशि उपलब्ध कराने का ऐलान हुआ.वह मुआवजा राशि केवल आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से एक लाख रू0 दिये गए. शेष प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष तो लुभावने नारा प्रतीत रहा. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता कोष से फुट्टल कौड़ी भी परिजनों के घाव पर मलहम देने के लिए खर्च नहीं किया गया.सहायता कोष सफेद हाथी दीखा. वही हाल मुख्य मंत्री राहत कोष का रहा. इससे सभी मृतक के परिजनों को लाभान्वित नहीं कराया गया. इतना जरूर है कि इस संदर्भ में आज भी पत्राचार जारी है और सत्याग्रह भी किया जाता है.यह कहावत चरितार्थ हुआ बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह. इतना तो कहा जा सकता है कि कोसी बाढ़ त्रासदी के दौरान केन्द्र ओैर राज्य सरकार के अलावे गैर सरकारी संस्थाएं भी राहत और पुनर्वास कार्य करने का दंभ भरते रहे.अब उनके दर्द में सहायक नहीं हैं.अब उनकी परेशानी अधिक चौड़ी करने में लगे हैं. कोसी प्रमंडल के आयुक्त को दिनांक 03.08.09 को जन संगठन एकता परिषद ने सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी कि कोसी बाढ़ से हो गयी मौत के उपरांत सरकारी निर्मित प्रावधान और सरकारी कानूनों की जानकारी दें और मृतकों की सूची उपलब्ध कराये. स्पष्ट की गयी कि सरकारी आकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 239 है? या इससे अधिक की मौत हुई है सच्चाई क्या है? मौत की संख्या मापने का पैमाना क्या था? लोगों के द्वारा थाना में प्राथमिकी दर्ज करने से, पोस्टमार्टम करने से, जन प्रतिनिधियों के द्वारा अधिकृत पत्र देने से. कितनों दिनों की तयसीमा निर्धारित की गयी थी. क्या आज भी ऐलान/ दावा किया जा सकता है? जो जानकारी मांगी गयी तो वह काफी चौकाने वाला तथ्य साबित हुआ .
18 अगस्त 2008 को सिर्फ 239 व्यक्तियाें की बाढ़ में डूबने से मौत हो गयी. उसके संदर्भ में सूचना दी गयी कि केवल सहरसा जिला में 41 व्यक्तियों की मौत हुई और मधेपुरा में 272 व्यक्तियों की मौत हो गयी. इस तरह 313 की अकाल मौत हो गयी है.यहां पर सुपौल जिले का आकड़ा अप्राप्त है. इन दो जिलेे में कुल 313लोगों की असामयिक मौत हो गयी है. कोसी बाढ़ 2008 में अधिकारिक तौर से मधेपुरा जिले में कुल 272 की मृत्यु हुई है. 181 मृतकों को सरकारी अनुदान प्राप्त हुआ .शेष 91 मृतकों की प्रक्रिया में है.उस समय 16 माह के बाद भी निपटारा नहीं हो पाया. सरकारी प्रावधान के अनुसार मृतक के आश्रितों को आपदा राहत मौत की संख्या का पैमाना के संबंध में उल्लेखनीय है कि मौत की संख्या का पता थाना में दर्ज की गई प्राथमिकी, पोस्टमार्टम रिर्पोट तथा अंचल अधिकारी द्वारा स्थलीय जांचोपरांत प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर प्रेषित किया जाता है. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता कोष से एक लाख रू0 , मुख्यमंत्री राहत कोष से पचास हजार रू0 तथा आपदा प्रबंधन विभाग से एक लाख रू0 का अनुग्रह अनुदान राशि के रूप में भुगतान किया जाता है. इस तरह प्रति मृतक को ढाई लाख रूपये का अनुग्रह अनुदान का भुगतान होना है. जो नहीं हुआ.सहरसा जिले में 41 व्यक्तियों के बीच 41,00,000 लाख रूपये का अनुदान वितरित किया गया. इन लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से पचास हजार रू0 तथा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता कोष से एक लाख रू0 का अनुग्रह अनुदान राशि के रूप में भुगतान नहीं किया गया.इस तरह मौत के अनुदान पर विराम लग गया. मधेपुरा जिले में 181 मृतक के परिजनों को अनुग्रह अनुदान का भुगतान किया गया. आपदा प्रबंधन विभाग से 141 मृतकों के परिजनों को एक लाख रूपये प्राप्त कराये गया.इस तरह 1,41,00,000.00 रूपये का अनुदान राशि वितरण किया गया और मुख्यमंत्री राहत कोष से 40 मृतक के परिजनों को पचास हजार रूपये अनुदान राशि वितरण किया गया है.इस तरह 20,00,000.00 रूपये वितरण किया गया.कुल मिलाकर 1,61,00,000.00 रूपये वितरण किया गया.संपूर्ण रिपोर्ट सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त प्रतिवेदन पर आधारित है.
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