आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जाति जनगणना करवाए सरकार : दीपंकर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 12 अगस्त 2021

आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जाति जनगणना करवाए सरकार : दीपंकर

  • जनसंख्या कोई समस्या नहीं, प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू हो.
  • कोविड की सर्वे रिपोर्ट पर आधारित ‘स्वस्थ बिहार-हमारा अधिकार’ जनकन्वेंशन 13 अगस्त को.
  • 15 अगस्त को हम देश की आजादी, लोकतंत्र व एकता को बचाने का लेंगे संकल्प.

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पटना 12 अगस्त, पटना के छज्जूबाग स्थित पार्टी विधायक दल कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने आरक्षण को तर्कसम्मत बनाने के लिए जाति जनगणना की मांग दुहराई है. कहा कि केंद्र सरकार मुद्दे को भटकाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात कर रही है, लेकिन अभी विगत तीन दशकों में जनसंख्या वृद्धि की दर घटी है और फिलहाल जनसंख्या कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि संसद में सत्ता व विपक्ष की सहमति से ओबीसी आरक्षण पर बिल पारित हुआ है. इसकी जरूरत थी. लेकिन यह अपने आप में पर्याप्त नहीं है. आरक्षण को सुचारू व तर्कसम्मत तरीके से लागू करने के लिए जाति जनगणना जरूरी है. 1931 के बाद जाति जनगणना हुई ही नहीं है. मंडल कमीशन की सिफारिश भी उसी आधार पर हुई. 2011 के आंकड़े अभी तक सामने नहीं आए. यदि आरक्षण को अपडेट करना है तो जातिगत जनगणना होनी ही चाहिए. आज सरकारी नौकरियां घट रही हैं और बेरोजगारी फैल रही है. इसलिए प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू होना चाहिए. यदि प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण नहीं होगा, तो आरक्षण का मकसद अपने आप में बेमानी हो जाएगा. हमारे छात्र-नौजवान इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं. जाति जनगणना में हिंदु-मुसलमान की कोई बात नहीं है बल्कि सभी लोगों की जनगणना जाति के ही आधार पर हो.


उक्त संवाददाता सम्मेलन में पार्टी महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य के साथ-साथ राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य राजाराम सिंह तथा अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केडी यादव भी शामिल थे. माले महासचिव ने आगे कहा कि विगत सत्र में विधायकों व लोकतंत्र पर जिस प्रकार से हमले हुए, उस पर बिहार सरकार को जनता से माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वह हमारे लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में शामिल हो चुका है. तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन इस बार संसद के करीब पहुंच गया. संसद के समानान्तर किसानों की संसद आयोजित हुई. महिला किसानों ने अलग से संसद का आयोजन किया. जिस वक्त किसानों के ये संसद चल रहे थे, ठीक उसी समय पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने के बगल में खुलेआम जेनोसाइड का काॅल दिया जाता है. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. अमित शाह के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस कोरोना काल में दिल्ली में कोई लोकतांत्रिक प्रतिवाद नहीं होने दे रही है, ऐसे उन्मादी ताकतों को छूट दी जा रही है. ऐसे लोगों पर कुछ कार्रवाई हुई भी तो उन्हें अविलंब जमानत भी दे दी गई. यह सबकुछ यूपी चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने व किसानों की एकता तोड़ने के लिए किया जा रहा है. देश की एकता, इतिहास व सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ भाजपा ने एक युद्ध की घोषणा कर दी. इसके प्रति हमें सजग व सचेत रहना होगा.


कोविड सर्वे पर आधारित ‘स्वस्थ्य बिहार - हमारा अधिकार’ जनकन्वेंशन का आयोजन 13 अगस्त को होगा. हम इस दिन अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे और इस मसले पर आधारित एक फिल्म का भी प्रदर्शन होगा. बिहार सरकार कोविड के मौत के आंकड़ों को लेकर खेल खेल रही है. सरकार के आंकड़े व वास्तविकता में जमीन आसमान का अंतर है. 19 लाख रोजगार का वादा हम नहीं भूले हैं. हरेक परीक्षा में धांधली देख रहे हैं. अलग-अलग आंदोलन के साथ-साथ एक साझा आंदोलन वक्त की मांग है. 74 के आंदोलन ने आपातकाल के खिलाफ पूरे देश में एक माहौल बनाया था. आज जो अघोषित आपाताकाल है, उस आपातकाल से भी खतरनाक है. इस देशबेचू सरकार को हटाने के लिए छात्र-नौजवानों व किसानों का आंदोलन ही हमारी पूंजी है. इस 15 अगस्त को आजादी के 74 वर्ष पूरे हो रहे हैं. देश आज खतरनाक मोड़ पर हैं, जहंा सारे आदर्श धुमिल हो रहे हैं. भाजपा राज अंग्रेजों के राज का विस्तार लग रहा है. काले कानूनेां के आधार पर अंग्रजी राज की तरह यह सरकार यूएपीए, व राजद्रोह कानून के आधार पर शासन चला रही है. उपर से पेगासस का हमला है. इजराइल से दोस्ती का मतलब अब समझ में आ रहा है. इसका नाजायज इस्तेमाल किया जा रहा है. स्वतत्रंता दिवस पर व्यापक पैमाने पर हम अपनी आजादी व देश की एकता को बचाने का संकल्प लेंगे.

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