इसके साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि “जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि बिहार में जागरूकता के जरिए प्रजनन दर में कमी आई है। आज बिहार का प्रजनन दर घटकर 4 से 3 पर जा पहुंचा है और अगले 5 साल में हम इसे 2 पर ले आएंगे। नीतीश ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर कानून अपनी जगह है। राज्य सरकार ने जो फैसला लेती हैं, वह अपनी जगह है। लेकिन हमारा मानना है कि इसके लिए जन जागरण सबसे महत्वपूर्ण कदम है। मालूम हो कि इससे पहले जदयू द्वारा जातीय जनगणना की मांग कर भाजपा पर दवाब बनाया जा रहा था। जिसके बाद सरकार में शामिल मंत्रियों द्वारा कहा गया कि जातीय जनगणना के साथ ही साथ राज्य में जनसंख्या नियंत्रण कानून भी जरूरी है। हालंकि राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर चर्चा यह है कि जाती है जनगणना को लेकर जदयू द्वारा दबाव बनाया जा रहा था जिसका जवाब भाजपा द्वारा जनसंख्या नियंत्रण कानून के आधार पर दिया गया है। बहरहाल, यह बात साफ हो गई है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर क्या सोच रखते हैं।
पटना : जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लागतार राज्य सरकारों से बातचित की जा रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून से देश में तेजी से बढ़ रहे जनसंख्या पर थोड़ा नियंत्रण रखा जा सकता है। वहीं, इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि कानून के बदलने जागरूकता अधिक जरूरी है। दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ विभाग से जुड़ी योजनाओं का शुभारंभ कर रहे थे। इस कार्यक्रम में बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी भी उपस्थित थी। इसी दौरान इस कार्यक्रम से बाहर आने के बाद नीतीश कुमार से सवाल किया गया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर उनका क्या विचार है तो मुख्यमंत्री ने कहा कि ” कौन क्या कहता है, करता है, इससे हमें कोई मतलब नहीं। हमारा स्टैंड बिल्कुल साफ है।”
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