- · कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण शामिल हुईं।
- · प्रभा खेतान फाउंडेशन ने विक्रम संपत की पुस्तक सावरकर - ए कॉन्टेस्टेड लिगेसी 1924-1966 - के विमोचन का आयोजन किया।
- · किताब लेखकों को उनकी नवीनतम साहित्यिक कृतियों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- · सावरकर भारतीय राजनीति और इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति : निर्मला सीतारमण
सावरकर श्रृंखला के इस दुसरे और अंतिम खंड में, पूरे भारत से और इसके बाहर, अंग्रेजी और कई भारतीय भाषाओं में मूल अभिलेखीय दस्तावेजों की एक विशाल श्रृंखला की छानबीन करते हुए, लेखक विक्रम संपत बीसवीं सदी के विवादास्पद राजनीतिक विचारक और नेता विनायक दामोदर सावरकर के जीवन और कार्यों को प्रकाश में लाये हैं। उनकी मृत्यु के दशकों बाद, विनायक दामोदर सावरकर भारत के राजनीतिक परिदृश्य को विशिष्ट रूप से प्रभावित करते रहे हैं। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जो हिंदू-मुस्लिम एकता के कट्टर समर्थक थे ऐसा उनके साथ क्या हुआ था कि वे 'हिंदुत्व' के समर्थक के रूप में बदल गये? अखिल भारतीय हिंदू महासभा के पूर्व अध्यक्ष सावरकर कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के घोर आलोचक थे। गांधी की हत्या के बाद, सावरकर को हत्या में सह-साजिशकर्ता के रूप में आरोपित किया गया था, जबकि उन्हें अदालत ने बरी कर दिया था। सावरकर पर अभी भी गांधी की हत्या में भूमिका निभाने का आरोप लगते रहते है, और यह एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर चर्चा और बहस होती है। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस मौके पर कहा “मैं लोगों को ऐसा अवसर देने के लिए प्रभा खेतान फाउंडेशन जैसे संगठनों की प्रंशसा करती हूँ । लेखक विक्रम की यह एक बहुत ही ठोस और अच्छी तरह से शोध की गई किताब है,जिस विवेक के साथ लेखक ने कठोर शोध कर इस पुस्तक को लिखा है,वह काबिले तारीफ है। सावरकर भारतीय राजनीति और इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, और इसलिए उन पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।" उन्होंने आगे वीर सावरकर जैसे नेता का अपना आधार था और इसके चलते उनका योगदान अलग है”।
लेखक विक्रम संपत ने इस मौके पर कहा "यह पुस्तक भारत और विदेशी अभिलेखागारों और पुस्तकालयों से लगभग 5 वर्षों की गहन शोध है जो एक बदनाम और गलत समझे जाने वाले व्यक्ति की समग्र तस्वीर की गहन पड़ताल करती है। मुझे आशा है कि विवेकशील पाठक इन संस्करणों को पढेंगे और अपने दिमाग में सावरकर, उनकी विरासत और आज के भारत में उनके महत्व के बारे में अपनी राय बनाएंगे।" भारतीय अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने कहा, "यह एक उत्कृष्ट काम है, बहुत अच्छी तरह लिखा गया है और बेहद पठनीय है। मैंने पहले खंड को पढ़ा है, और दूसरा खंड भी आधा पढ़ चूका हूँ और इसका आनंद ले रहा हूं। मैं यह कह सकता हूं कि ये दो खंड किसी भारतीय लेखक द्वारा लिखी गई अब तक की सर्वश्रेष्ठ जीवनी हो सकते हैं। नीलिमा डालमिया आधार-एहसास वीमेन ऑफ़ दिल्ली, प्रभा खेतान फाउंडेशन ने कहा “हमारी पहल किताब वह है जो लेखकों को अपनी किताबें प्रदर्शित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है। लेखक विक्रम संपत की नई किताब के लोकार्पण की मेजबानी करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है."सावरकर - द कंटेस्टेड लिगेसी", कोविड के इन चुनौतीपूर्ण समय में लोकार्पित हो रही है हम माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के आभारी हैं।कई शानदार ऐतिहासिक और जीवनी संबंधी किताबें लिखने वाले विक्रम संपत ने हमें उनकी अच्छी तरह से शोध की गई जीवनी में सावरकर के जीवन की यात्रा का भरोसा किया है, मैं उनकी इस नई पुस्तक की सफलता की कामना करती हूं।
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