एनीमिया शब्द आपने कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका मतलब क्या है? एनीमिया का मतलब है शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल) की कमी होना। ऐसा तब होता है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के बनने की दर उनके नष्ट होने की दर से कम होती है। इसके कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां होती हैं। जिस व्यक्ति को एनीमिया होता है उसके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। अगर खून की ज्यादा कमी हो जाती है तो यह शरीर के अंगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। पोषण अभियान के अंतर्गत दिनांक- 01 से 30 सितम्बर, 2021 तक पोषण के प्रति जागरूकता के लिए राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जाना है, जिसके तहत परियोजना/आंगनवाड़ी केन्द्रों पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम की जानी है। 01-30 सितम्बर -2021 तक प्रगति ग्रामीण विकास समिति/Save the Children द्वारा आंगनवाड़ी सेविकाओं/समुदाय के साथ क्विज प्रतियोगिता, हेल्दी बेबी शो, पोषण वाटिका, रंगोली कार्यक्रम, स्लोगन लेखन जैसी विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन कोविड 19 गाइडलाइन्स का पालन करते हुए करेगी और अच्छा प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्त्ता/आंगनवाड़ी/समुदाय को पुरस्कृत भी किया जायेगा | इस अवसर पर जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (ICDS) श्रीमती आरूप ने कहा कि मानपुर, गया को कुपोषण, एनीमिया से मुक्त करना और इस मिशन में प्रगति ग्रामीण विकास समिति/Save the Children अपना पूरा सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रगति ग्रामीण विकास समिति /Save the Children के इस महत्वपूर्ण कदम से जन-मानस को काफी फायदा होगा, समुदाय जागरूक होगी एवं अपना मानपुर, गया कुपोषण और एनेमिया से मुक्त होगा।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है। दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है।राजस्थान और मध्य प्रदेश में किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि देश के सबसे गरीब इलाकों में आज भी बच्चे भुखमरी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस ओर ध्यान दिया जाए तो इन मौतों को रोका जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत में जो आंकड़े पाए हैं, वे अंतरराष्ट्रीय स्तर से कई गुना ज्यादा हैं।संयुक्त राष्ट्र ने स्थिति को "चिंताजनक" बताया है। भारत में फाइट हंगर फाउंडेशन और एसीएफ इंडिया ने मिल कर "जनरेशनल न्यूट्रिशन प्रोग्राम" की शुरुआत की है।भारत में एसीएफ के उपाध्यक्ष राजीव टंडन ने इस प्रोग्राम के बारे में बताते हुए कहा कि कुपोषण को "चिकित्सीय आपात स्थिति" के रूप में देखने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने इस दिशा में बेहतर नीतियों के बनाए जाने और इसके लिए बजट दिए जाने की भी पैरवी की।नई दिल्ली में हुई कॉन्फ्रेंस में सरकार से जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया गया। राजीव टंडन ने सरकार से कुपोषण मिटाने को एक "मिशन" की तरह लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अगर चाहें, तो इसे एक नई दिशा दे सकते हैं।एसीएफ की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कुपोषण जितनी बड़ी समस्या है, वैसा पूरे दक्षिण एशिया में और कहीं देखने को नहीं मिला है. रिपोर्ट में लिखा गया है, "भारत में अनुसूचित जनजाति (28%), अनुसूचित जाति (21%), पिछड़ी जाति (20%) और ग्रामीण समुदाय (21%) पर अत्यधिक कुपोषण का बहुत बड़ा बोझ है।" वहीं महाराष्ट्र में राजमाता जिजाऊ मिशन चलाने वाली वंदना कृष्णा का कहना है कि राज्य सरकार कुपोषण कम करने के लिए कई कदम उठा रही है, पर साथ ही उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि दलित और आदिवासी इलाकों में अभी भी सफलता नहीं मिल पाई है।संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बच्चों को खाना ना मिलने के साथ साथ, देश में खाने की बर्बादी का ब्योरा भी दिया गया है। इस अवसर पर Save the Children से मुकुल कुमार, समेकित बाल विकास परियोजना कार्यालय, गया के जिला समन्वयक श्री सुशांत कुमार, सुश्री सबा सुल्ताना, PGVS मानपुर के समन्वयक विरेन्द्र कुमार सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
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