आलेख : चीन को चौतरफा घेरने का मास्टरप्लान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 23 सितंबर 2021

आलेख : चीन को चौतरफा घेरने का मास्टरप्लान

china-india-policy
24 सितंबर को होने वाले क्वाड समिट से पहले बौखलाया चीन...चीन ने कहा है कि ये गुटबाजी कोई काम नहीं आयेगी और इस गुटबाजी का कोई भविष्य नहीं है तो चलिए आज इस पर बात करते हैं और समझते हैं आखिर क्या है क्वाड? इसमें कौन से देश शामिल हैं? इस बार की समिट का एजेंडा क्या होगा? क्वाड देशों को चीन से क्या दिक्कत है? क्वाड सम्मेलन में चीन के खिलाफ बन सकती है रणनीति! क्वाड का मतलब है क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग, जो जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच एक multilateral agreement है। ये इंडो-पैसिफिक लेवल पर काम कर रहा है, ताकि समुद्री रास्तों से ट्रेड आसान हो सके लेकिन अब ये पावर बैलेंस करने के लिए व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को भी मजबूती देने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है।  2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद भारत, जापान, अमेरिका, आस्ट्रेलिया साथ आये थे। इसे सुनामी कोर ग्रुप का नाम दिया गया था। इस गठजोड़ ने राहत और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाई थी उसके बाद यह समूह बिखर गया। 2007 में एक बार फिर जापान के तत्कालीन पीएम एबी शिंजो ने क्वाड के गठन का सुझाव दिया था लेकिन उस वक्त आस्ट्रेलिया ने अपने हाथ खींच लिये और यह गठजोड़ नहीं बन पाया। 2017 में आस्ट्रेलिया साथ आया और क्वाड बना।


क्वाड देश अब चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। अमेरिका में 24 सितंबर को क्वाड की पहली इन-पर्सन (जिसमें नेता मौजूद रहेंगे) समिट होने जा रही है। वॉशिंगटन में होने वाली इस समिट की मेजबानी पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन करेंगे। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई PM स्कॉट मॉरीसन और जापानी PM योशिहिदे सुगा भी शामिल होंगे।  सितंबर में होने वाली समिट के पहले 12 मार्च को क्वाड की वर्चुअल बैठक हुई थी। इस बैठक में तय हुए एजेंडों पर इस बैठक में बात होगी। कोरोना महामारी, आपदा राहत, आतंकवाद, अफगानिस्तान, मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन, नई तकनीकें, साइबरस्पेस और इंडो-पैसेफिक क्षेत्र को मुक्त रखने जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र के 33 देशों को कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का रोडमैप, क्वाड के चार देशों के नौ सेना अभ्यास को विस्तार देना, समान सोच वाले दूसरे देशों के साथ क्वाड का सैन्य गठबंधन, क्वाड के सहयोग से दूसरे देशों में ढांचागत विकास की रणनीति आस्ट्रेलिया की जमीन, इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉलिटिक्स में चीन का बढ़ता इंटरेस्ट आस्ट्रेलिया के लिए चिंता का विषय है। वहीं जापान पिछले एक दशक से चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान है। भारत के लिए चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत एक स्ट्रैटजिक चुनौती है। अमेरिका की पॉलिसी पूर्वी एशिया में चीन को काबू करने की है। इसी वजह से वह क्वाड को इंडो-पेसिफिक रीजन में प्रभुत्व फिर से हासिल करने के अवसर के तौर पर देखता है। इस बार क्वाड बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में हिंद प्रशांत महासागर में चीन के आक्रामक रवैये को लेकर सीधा व कड़ा जबाव दिया जा सकता है। अभी तक इस बारे में इशारों में ही बातें की जाती रही हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र के अलावा कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान और दूसरे देशों में साझा तौर पर ढांचागत व्यवस्था को मजबूत करना दो अन्य मुद्दे हैं जो काफी अहम होंगे।


चीन पर लगाम : चीन को रोकना संभव नहीं है लेकिन क्वाड उसे चुनौती जरूर दे सकता है।  अभी क्वाड एक temporary group है। जिसे international organization के रूप में ढाला जा सकता है। अभी क्वाड औपचारिक संगठन का रूप नहीं ले पाया है। जापान हमेशा से इसकी लोकतांत्रिक पहचान पर जोर देता रहा है। जबकि भारत का पूरा जोर काम के स्तर पर tie-up को लेकर है। ऑस्ट्रेलिया इस बात से बचता रहा है कि क्वाड को औपचारिक संगठन का नाम दिया जाये। फिलहाल सभी देश चीन से जुड़ी अपनी चिंताओं को लेकर एक धरातल पर है।



jyoti mishra


लेखक - ज्योति मिश्रा (जर्नलिस्ट)

भोपाल (म.प्र.)

कोई टिप्पणी नहीं: