क्वाड देश अब चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। अमेरिका में 24 सितंबर को क्वाड की पहली इन-पर्सन (जिसमें नेता मौजूद रहेंगे) समिट होने जा रही है। वॉशिंगटन में होने वाली इस समिट की मेजबानी पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन करेंगे। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई PM स्कॉट मॉरीसन और जापानी PM योशिहिदे सुगा भी शामिल होंगे। सितंबर में होने वाली समिट के पहले 12 मार्च को क्वाड की वर्चुअल बैठक हुई थी। इस बैठक में तय हुए एजेंडों पर इस बैठक में बात होगी। कोरोना महामारी, आपदा राहत, आतंकवाद, अफगानिस्तान, मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन, नई तकनीकें, साइबरस्पेस और इंडो-पैसेफिक क्षेत्र को मुक्त रखने जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र के 33 देशों को कोरोना वैक्सीन पहुंचाने का रोडमैप, क्वाड के चार देशों के नौ सेना अभ्यास को विस्तार देना, समान सोच वाले दूसरे देशों के साथ क्वाड का सैन्य गठबंधन, क्वाड के सहयोग से दूसरे देशों में ढांचागत विकास की रणनीति आस्ट्रेलिया की जमीन, इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉलिटिक्स में चीन का बढ़ता इंटरेस्ट आस्ट्रेलिया के लिए चिंता का विषय है। वहीं जापान पिछले एक दशक से चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान है। भारत के लिए चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत एक स्ट्रैटजिक चुनौती है। अमेरिका की पॉलिसी पूर्वी एशिया में चीन को काबू करने की है। इसी वजह से वह क्वाड को इंडो-पेसिफिक रीजन में प्रभुत्व फिर से हासिल करने के अवसर के तौर पर देखता है। इस बार क्वाड बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में हिंद प्रशांत महासागर में चीन के आक्रामक रवैये को लेकर सीधा व कड़ा जबाव दिया जा सकता है। अभी तक इस बारे में इशारों में ही बातें की जाती रही हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र के अलावा कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान और दूसरे देशों में साझा तौर पर ढांचागत व्यवस्था को मजबूत करना दो अन्य मुद्दे हैं जो काफी अहम होंगे।
चीन पर लगाम : चीन को रोकना संभव नहीं है लेकिन क्वाड उसे चुनौती जरूर दे सकता है। अभी क्वाड एक temporary group है। जिसे international organization के रूप में ढाला जा सकता है। अभी क्वाड औपचारिक संगठन का रूप नहीं ले पाया है। जापान हमेशा से इसकी लोकतांत्रिक पहचान पर जोर देता रहा है। जबकि भारत का पूरा जोर काम के स्तर पर tie-up को लेकर है। ऑस्ट्रेलिया इस बात से बचता रहा है कि क्वाड को औपचारिक संगठन का नाम दिया जाये। फिलहाल सभी देश चीन से जुड़ी अपनी चिंताओं को लेकर एक धरातल पर है।
लेखक - ज्योति मिश्रा (जर्नलिस्ट)
भोपाल (म.प्र.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें