सहरसा. जन संगठन एकता परिषद और सर्वोदय समाज के द्वारा न्याय एवं शांति पदयात्रा जारी है.न्याय और शान्ति पदयात्रा - 2021” की शुरुआत 21 सितम्बर को अन्तरर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर राजधानी पटना के नौबतपुर से शुरू की गई थी.इस समय पदयात्रा देश के 105 जिलों के साथ-साथ विश्व के 25 देशों में आयोजित की जा रही है.यात्रा के दौरान लगभग पांच हजार पदयात्री पैदल चल रहे हैं और लगभग दस हजार किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी. इस ऐतिहासिक पदयात्रा का समापन 2 अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर की जाएगी। 2 अक्तूबर को दुनिया में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. कोसी प्रक्षेत्र के डीआइजी प्रणव कुमार प्रवीण ने पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि कोसी के सहरसा में सबसे अधिक भूमि माफिया सक्रिय हैं जो सभी जमीन में विवाद फंसाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं. ऐसे भूमि माफिया पर कार्रवाई की जाएगी.डीआइजी के इस कथन को लोगों ने स्वागत किया है.भूमि माफियाओं के द्वारा गैर मजरूआ भूमि,वन भूमि,भूदान भूमि आदि सरकारी जमीनों पर कुंडली मारकर बैठे है.इसके कारण आवासीय भूमिहीनों को दस डिसमिल जमीन नहीं मिल पा रही है.आज भी आवासहीन अंचल- पतरघट के पंचायत धबौली (वेस्ट)के भेलवापट्टी से पतरघट नहर के किनारे बसे हैं.ऐसे लोगों को रहने लायक जमीन पर बसाया जा सकता है.इस संदर्भ में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री राम सुरत राय पर वचनबद्ध हैं. न्याय और शान्ति पदयात्रा - 2021” में कोसी प्रक्षेत्र के सहरसा जिला में रहने वाले भी शामिल हैं.21सितंबर से पदयात्रा कर रहे हैं और गाना गा रहे हैं.शांति के सिपाही देख, गांव गांव जा रहे.गाँव-गाँव जा रहे,न्याय गीत गा रहे.ये लोग आवासीय भूमिहीन हैं.अंचल- पतरघट के पंचायत - धबौली (वेस्ट)के भेलवापट्टी से पतरघट नहर के किनारे बसे हैं.आवासहीनों ने नहर के किनारे गाँव ही बसा दिया है.कब सरकार और भूमि माफियाओं की कुदृष्टि पड़ने से नहर के किनारे से भगा दिया जाए?यह कोई नहीं जानता है.
बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी कहते हैं कि सरकार के पास कई योजनाएं है,इससे आवासीय भूमिहीनों को भूमि दी जा सकती है.मगर सरकार की योजना में आवासीय भूमिहीनों को जमीन देना ही नहीं है.और तो और जहां रहते हैं वहां का वासगीत पर्चा भी नहीं देते हैं.उन्होंने कहा कि एकता परिषद के जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 पदयात्रा में एक सत्याग्रही के रूप में पांव-पांव चले.जो एकता परिषद और सरकार के बीच समझौता हुई है,उसे पालन नहीं किया जा रहा है.इसके कारण स्वयं को कष्ट देकर मुद्दा उठा रहे हैं. एकता परिषद से जुड़े ओमप्रकाश सादा का कहना है कि हम कार्यकर्ता उपवास कार्यक्रम में शामिल हुए. इसमें ओमप्रकाश सादा,हीरालाल सादा,सत्यनारायण पोद्दार,कमलेश्वरी दास,रामदय देवी,कमोदिया देवी एवं अन्य साथी शामिल हुए. भूख की जंग में-हम सब संग में, जय जगत, हम तख्तो ताज लेने की बात नहीं करते,हम अपना हक लेके रहेंगे, हम-अंजाम की परवाह नहीं करते, जल, जंगल और जमीन की जंग में-हम सब संग में .
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