पटना. स्थानीय कुर्जी होली फैमिली अस्पताल के पूर्व कर्मी है सिसिल साह उर्फ बबलू.यहां पर क्रेडिट मैनेजर के पद पर कार्यशील थे.बबलू कहते हैं कि अपने ही कार्यक्षेत्र और निवास क्षेत्र में अनजाना बनकर रह गये.सिसिल अपनी धर्मपत्नी शालिनी को अस्पताल में भर्ती कराएं थे.यहां पर चार दिन थे. उन्होंने कहा कि अस्पताल में काफी बदलाव हो गया है.जबकि एडमिशन चार्ट में धर्म कॉलम में क्रिश्चियन लिखने के बाद कोई केयर नहीं किया गया.मरीज का और मरीज के पतिदेव का नाम अंग्रेजी नाम रहने के बाद भी अस्पताल के चैपलिन फादर ग्रेगरी गोम्स को सूचना नहीं दी गयी.सूचना देने की जिम्मेवारी नाइट सुपरवाइजर को है.उनके लापरवाही के कारण रोमन कैथोलिक मरीज उपेक्षित पड़ी रही. मालूम हो कि इस अस्पताल में वेतनभोगी चैपलिन रखने का प्रावधान है.इस समय फादर ग्रेगरी गोम्स हैं.बबलू से फादर ग्रेगरी गोम्स कहते हैं कि तीन दिनों से क्रिश्चियन मरीज भर्ती हैं, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी. इसके कारण मुलाकात व परमप्रसाद नहीं देने आ सके.कोई क्रिश्चियन भर्ती होते हैं,तो उनको पवित्र परमप्रसाद और दुआ करने चैपलिन आते हैं.इससे यह मरीज महरूम रह गयी. सिसिल साह ने कहा कि हारकर खुद ही फादर ग्रेगरी गोम्स से मिलने चले गये.तब जाकर चौथे दिन परम प्रसाद मिला.पुरोहित ने दुआ किये.मरीज को डायलिसिस पर रखा गया था. यह हाल है अल्पसंख्यकों के नाम से संचालित कुर्जी होली फैमिली अस्पताल की.यहां की तमाम गतिविधियां सीसीटीवी से देखकर अस्पताल संचालित है.प्रशासिका का राउण्ड बंद है.कोरोना का भय है कि रियायत नहीं देने का मन.पर पूर्व कर्मी काे दिल में दर्द दे दिया.
गुरुवार, 16 सितंबर 2021
जब सिसिल साह अपने ही कार्यक्षेत्र और निवास क्षेत्र में अनजाना बनकर रह गये
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