ठोस प्रमाण: टीकाकरण से कोविड होने पर उसके गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा बहुत कम
टीकाकरण का व्यक्तिगत लाभ भी मिलता है क्योंकि जिसको पूरा टीका लगा है उसको कोविड होने पर कोविड के गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा अत्यंत कम है और कोविड से मृत होने की सम्भावना भी बहुत कम है। दुनियाभर में हुए अनेक वैज्ञानिक शोध इस बात को प्रमाणित करते हैं कि कोविड टीके से कोविड होने के गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा बहुत कम होता है और मृत्यु का ख़तरा भी अत्यंत कम (उन लोगों की तुलना में जिन्हें कोविड टीका नहीं लगा है)। दुनिया में अनेक देशों में आबादी का एक बड़ा भाग पूरा टीकाकरण करवा चुका है जैसे कि अमरीका, कनाडा, ऑस्ट्रेल्या, फ़्रान्स, यूरोप के अन्य अमीर देश, उरुगाय, सिंगापुर आदि। इनमें से अनेक देशों में 80% से अधिक आबादी को पूरा टीका लगा है और अनेक जगह 50% से अधिक आबादी पूरा टीकाकरण करवा चुकी है। जिन देशों में अत्याधिक आबादी पूरा टीकाकरण करवा चुकी है, वहाँ पर इसीलिए जिस अनुपात में नए कोविड पॉज़िटिव केस हैं उस अनुपात में लोगों को अस्पताल को ज़रूरत नहीं पड़ती, ऑक्सिजन की ज़रूरत नहीं पड़ती, और मृत्यु दर भी कम है। जिन देशों में टीकाकरण कम है वहाँ जिस अनुपात में नए कोविड केस हैं उसी अनुपात में अस्पताल की ज़रूरत बढ़ती है, ऑक्सिजन की ज़रूरत बढ़ती है, मृत्यु दर बढ़ती है। साफ़ ज़ाहिर है कि कोविड टीकाकरण करवाने के कारण कोविड होने पर गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा बहुत कम होता है।
क्या टीकाकरण से संक्रमण होने से बचाव होता है?
पूरा कोविड टीकाकरण कराने से व्यक्ति कोविड से संक्रमित होने से बचेगा या नहीं इस पर ठोस प्रमाण अभी आना बाक़ी है। अमरीका में दिसंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक हुए प्रारम्भिक शोध के आँकड़े बताते हैं कि जिन लोगों ने पूरा टीकाकरण करवाया था उनको संक्रमण होने का ख़तरा 80% कम था हालाँकि अमरीकी सीडीसी के अनुसार, अभी अधिक शोध की ज़रूरत है कि यह बात वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो और ठोस रूप से कही जा सके. हाल ही में जारी दिशानिर्देश में, अमरीका के सीडीसी ने कहा कि कोविड टीके की पूरी खुराक लगवाने पर कोविड होने का ख़तरा 5 गुणा कम होता है और यदि कोविड हो जाए तो गम्भीर परिणाम होने का ख़तरा 10 गुणा कम और कोविड से मृत्यु होने का ख़तरा 10 से अधिक गुणा कम होता है। पर यह बात स्पष्ट है कि टीकाकरण करवाने से कोविड होने का ख़तरा अत्यंत कम होता है पर शून्य नहीं होता है - इसीलिए मास्क ठीक से पहने, भौतिक दूरी बनाये रखें, और संक्रमण नियंत्रण पर ध्यान दें। मुंबई में आँकड़े देखें तो जिन लोगों को पूरा टीका लगा था उनमें सिर्फ़ 0.35% को कोविड हुआ। मुंबई में 25 लाख लोगों को पूरा टीका लगा था जिनमें से 9001 कोविड पॉज़िटिव हुए।
उत्तर प्रदेश में कुल आबादी के मात्र 8% को अब तक लगा है पूरा टीका
16 जनवरी 2021 से सितम्बर तक, उत्तर प्रदेश में कुल आबादी के मात्र 8% का पूरा टीकाकरण हुआ है जो राष्ट्रीय औसत पूरा टीकाकरण दर से आधा है! केरल जैसे राज्यों में राष्ट्रीय औसत से दुगना टीकाकरण हो रहा है। हालाँकि इसी समय अवधि में अमीर देशों में आबादी का 80% से अधिक का टीकाकरण हो चुका है। जुलाई 2021 में भारत में आबादी के 8.8% लोगों का पूरा टीकाकरण हो चुका था पर उत्तर प्रदेश में 4.3% ही हुआ था। सशक्त जन स्वास्थ्य प्रणाली कितनी ज़रूरी है सतत विकास के लिए यह कोविड ने पुन: स्पष्ट कर दिया है। कोविड महामारी पर अंकुश लगाने के लिए यह ज़रूरी है कि एक समयबद्ध तरीक़े से बिना भेदभाव के सभी का टीकाकरण हो। अमीर हो या गरीब, अमीर देश में हो या गरीब देश में, दुनिया में सभी के टीकाकरण की ज़रूरत है जिससे कि महामारी पर सफलतापूर्वक अंकुश लग सके।
अनेक देशों में टीकाकरण दर अत्यंत कम पर अमीर देश तीसरे बूस्टर डोज़ लगवाने पर आतुर!
यदि अमीर लोग या अमीर देश टीके की होड़ करेंगे और खुद तीसरी बूस्टर डोज़ लगवाएँगे तो नि:संदेह महामारी के ख़िलाफ़ जंग अभी काफ़ी जटिल होने को है! दुनिया में कुल आबादी है 7 अरब और 5.5 अरब वैक्सीन डोज़ लग चुकी हैं पर इनमें से 80% अमीर देशों में लगी हैं न कि विकासशील या ग़रीब देशों में। यह बात भी हम ध्यान दें कि अनेक विकासशील देश जैसे कि भारत में यह अधिकांश वैक्सीन बनी हैं। दुनिया के अमीर देश तीसरी बूस्टर डोज़ लगवाने को आतुर हैं परंतु उनके अकेले के टीकाकरण से महामारी का अंत कैसे होगा? इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेडरॉस ने कहा है कि 2021 के अंत तक, कोई देश तीसरा बूस्टर डोज़ न लगवाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के सभी देशों से अपील की है कि सितम्बर 2021 के अंत तक, सभी देश अपनी आबादी के 10% का कम-से-कम पूरा टीकाकरण करें, दिसम्बर 2021 तक 40% और जून 2022 तक 70% आबादी का हर देश कम-से-कम टीकाकरण करे। अमीर देशों ने वादा किया था कि 1 अरब डोज़ वह ग़रीब देशों को दान देंगे पर इस वादे का सिर्फ़ 15% अभी तक दान दिया गया है। हाल ही में प्रकाशित समाचार के अनुसार, भारत में भी तीसरे डोज़ की बात हो रही है जो सर्वदा अनुचित है क्योंकि पूरी आबादी में सभी पात्रों को टीका तो पहले मिले तब ही हम लोग तीसरी बूस्टर डोज़ का सोचें। कोविड महामारी का प्रकोप अनेक गुना तीव्र करने में हमारे समाज में व्याप्त ग़ैर बराबरी की बड़ी भूमिका है। इसीलिए कोविड के दौरान जीवनरक्षक दवाओं या ऑक्सिजन की कालाबाज़ारी, जमाख़ोरी, आदि, पीपीई किट या मास्क भी इस मुनाफ़े के खेले से अछूते नहीं रहे। हद तब हो गयी जब मृत्यु उपरांत परिवारजन को शव ले जाने वाले वाहन, ऐम्ब्युलन्स आदि या क्रिया क्रम में भी लूटने की खबरें आयीं। जब तक समाज के सबसे वंचित वर्ग जो हाशिये पर हैं वह सुरक्षित नहीं रहेंगे और बिना किसी शोषण या भेदभाव के मानवीय ढंग से जीवनयापन नहीं कर सकेंगे, तब तक कोविड जैसी महामारी मानवीय त्रासदी बन हम पर क़हर ढाहती रहेंगी।
बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा पुरस्कृत बॉबी रमाकांत, स्वास्थ्य अधिकार मुद्दों पर लिखते रहे हैं और सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस), आशा परिवार और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) से जुड़े हैं।
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