रामनगर. पश्चिम चम्पारण में रहते हैं अरूण अंथोनी दीपक.उनकी भतीजी हैं पूजा फ्रांसिस.उन्होंने ' थ्रू एपोकैलिप्स टू ग्रेस' नामक पुस्तक में 103 कविताएँ लिखी हैं,और बाद में ऑरेंज प्रकाशन, छत्तीसगढ़ के माध्यम से विश्व स्तर पर प्रकाशित कराने में सफल हुई हैं. लखनऊ के गीतापल्ली में रहने वाले राजन फ्रांसिस और अंजू फ्रांसिस की बेटी हैं पूजा फ्रांसिस.पूजा फ्रांसिस ने अपनी पहली पुस्तक 'थ्रू एपोकैलिप्स टू ग्रेस' में 103 कविताएँ लिखी हैं,और बाद में ऑरेंज प्रकाशन, छत्तीसगढ़ के माध्यम से विश्व स्तर पर प्रकाशित कराने में सफल हुई हैं. लखनऊ में रहने वाली पूजा फ्रांसिस 24 साल की हैं. वह अभी एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ से क्लिनिकल साइकोलॉजी में मास्टर्स कर रही हैं.पश्चिमी चम्पारण के रामनगर में रहने वाले उनके चाचा अरूण अंथोनी दीपक ने भतीजी पूजा के बारे में बताया कि वह दिवंगत एमजे फ्रांसिस और स्वर्गीय स्टेला फ्रांसिस, पश्चिम चंपारण, बेतिया, बिहार की पोती हैं.वहीं स्वर्गीय रेमी पास्कल और पुष्पा रेमी, रामनगर, पश्चिम चंपारण, बिहार में रहने वालों की नतिनी हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने स्कूल के दौरान बहुत सारी किताबें पढ़ती थी, और उसी से उन्हें लिखने की प्रेरणा मिली. इतना ही नहीं पूजा के दादा दिवंगत एमजे फ्रांसिस को भी बहुत सारी कविताएँ लिखने में दिलचस्पी थी. और उन्होंने अपने समय में बहुत सारी कविताएँ लिखीं थी. उन्होंने कहा कि पूजा की पहली पुस्तक 'थ्रू एपोकैलिप्स टू ग्रेस' अब ऑरेंज प्रकाशन, छत्तीसगढ़ के माध्यम से विश्व स्तर पर प्रकाशित हुई है.इस पुस्तक में पूजा फ्रांसिस द्वारा लिखी गई 103 कविताएँ हैं, सभी कविताएँ अपने आप में एक कहानी हैं और सच्ची भावनाएँ. भावनाएँ हैं जिनसे लोग अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर गुजरते हैं, और मानसिक स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है.उनकी पुस्तक अब अमेज़न पर उपलब्ध है, फ्लिपकार्ट, किंडल, ऑरेंज प्रकाशन वेबसाइट.उनकी किताब की कीमत ₹399/- पेपर बैक और किंडल में ₹299/- है.इस पुस्तक के अलावा, मानसिक बीमारी के साथ जीने के बारे में सच्चाई का अनावरण करने के लिए इंडी ब्लू प्रकाशन द्वारा उनकी कविताओं को एंथोलॉजी, थ्रू द लुकिंग ग्लास में भी चित्रित किया गया है.थॉट्स एंड प्रेयर्स, स्टीफन रेमिलार्ड द्वारा काव्य प्रेरणा का संग्रह, कैंसर से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के लिए.
बट यू डोंट लुक सिक, इंडी ब्लू पब्लिशिंग द्वारा कविता-
Speak up!!
The words that have left you frozen for years, might be the only words that will set you free
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