- • स्टोरीटेल थिएटर और नाटकप्रेमियों के लिए नाटकों को ऑडियोबुक के रूप में लाया है
- • सूची में गिरीश कर्नाड द्वारा ‘तुगलक’, विजय तेंदुलकर ‘खामोश अदालत जारी है’, असगर वजाहत द्वारा ‘चर्चित जिस लाहौर नई देख्या ओ जम्याई नईं’, जयशंकर प्रसाद द्वारा ध्रुवस्वामीनी शामिल हैं
- • लेखक मनोहर श्याम जोशी बुनियाद अब ऑडियोबुक में उपलब्ध है यह वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी
नई दिल्ली : हाल की महामारी के बाद से,अन्य उद्योंगो की तरह,रंगमंच और थिएटर जगत भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। कलाकारों के साथ-साथ दर्शक भी लाइव प्रदर्शन के अच्छे पुराने दिनों को याद कर रहे हैं। लेकिन कला की भावना हमेशा यह रही है कि सभी बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करते हुए इसे जारी रखने और फलने-फूलने के लिए आशा और उत्साह प्रदान करता है, कि चाहे जो हो शो चलते रहना चाहिये। स्टोरीटेल रंगमंच प्रेमियों के लिए नाटकों को ऑडियोबुक के रूप में लाया है।ऑडियोबुक के माध्यम से एक नाटक श्रोताओं को एक ऐसा अनुभव और रोमांच देगा जैसे कि वे मंच के ठीक सामने मौजूद हैं और नाटक को अपने आँखों के सामने देख रहे हैं।
कैटलॉग में दो प्रकार के नाटक हैं - मुद्रित और मंचित नाटक जिसके लिए ऑडियो अधिकार प्राप्त किए गये हैं और नाटक सीधे ऑडियो के लिए लिखे गये हैं। कैटलॉग को विविध बनाया गया है और इसमें क्लासिक और समकालीन नाटक शामिल हैं। इसमें गिरीश कर्नाड द्वारा तुगलक, विजय तेंदुलकर द्वारा खामोश अदालत जारी है, असगर वजाहत द्वारा चर्चित जिस लाहौर नई देख्या ओ जम्याई नईं, जयशंकर प्रसाद द्वारा ध्रुवस्वामीनी और कई अन्य शामिल हैं। इन नाटकों की लोकप्रियता ऐसी है कि यह सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। गिरीश कर्नाड का तुगलक भारतीय मंच पर सबसे महान नाटकों में से एक है। खामोश अदालत जारी है का प्रदर्शन लगभग सभी भारतीय भाषाओं में किया गया है। ध्रुवस्वामीनी के पास एक मजबूत महिला नायक है। जिस लाहौर नई देख्यां ओ जमायई नई विभाजन के बारे में है। लेखक मनोहर श्याम जोशी बुनियाद अब ऑडियोबुक में उपलब्ध है यह वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी। विभिन्न ऑडियोबुक के कथावाचकों के पास बहुत अच्छा अनुभव है। ऑडियोबुक नाटकों को भारती शर्मा जैसे भारतीय रंगमंच के महान लोगों की देखरेख में रिकॉर्ड किया गया है।
थिएटर अभिनेता/निर्देशक प्रियंका शर्मा ने स्टोरीटेल के लिए नाटकों की रिकॉर्डिंग के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “एक ऑडियोबुक के लिए काम करना बहुत ही शानदार अनुभव था। हम नाटकों और फिल्मों को चित्रों और दृश्यों के माध्यम से देखते आ रहे हैं, लेकिन यहां एक अभिनेता के लिए चुनौती यह थी कि वह अपनी आवाज इस तरह से तैयार करे कि सुनने वाले के दिमाग में एक तस्वीर बन जाए। जब आवाज सुनाई दे कि यह राजू की कहानी है, तो सुनने वाले के मन में राजू नाम के लड़के की तस्वीर आनी चाहिए। उस चरित्र की कठोरता या कोमलता उसकी आवाज की बनावट से जानी जानी चाहिए। श्वास और ध्वनि के उतार-चढ़ाव के माध्यम से चरित्र की मनःस्थिति को जानना चाहिए। यह छाप पाना किसी भी कलाकार के लिए बहुत ही रोचक और चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए इस माध्यम में काम करने में मजा आता है कि हर दिन कोई न कोई नया चैलेंज आता है। और मुझे लगता है कि यह श्रोता के लिए बहुत ही रोचक और ताज़ा है क्योंकि जब हम सुनते हैं कि राजू अपने कमरे में चला गया, तो कमरे की एक तस्वीर तुरंत दिमाग में बनती है और चित्र श्रोता के अपने अनुभव से बनता है, ताकि श्रोता देख सके राजू कमरे में है। यहां सुनने वाले की कल्पना काम आती है कि कैसे वह राजू का कमरा अपनी ही मेमोरी बॉक्स में जाकर बना लेता है। इसलिए मुझे लगता है कि हम सभी के लिए इस तरह काम करना, खुद को चुनौती देना और श्रोताओं के लिए एक अलग तरह का कंटेंट तैयार करना था जो बहुत अच्छा अनुभव रहा है।”
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