- * प्लास्टिक और पॉलिथीन हमारे समाज के लिए खतरा
दिल्ली। हमारे समाज में आज प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिसका हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्लास्टिक और पॉलिथीन से हमारे पर्यावरण और समाज पर इसका क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है यह बिना सोचे लगातार इसका उपयोग किया जा रहा है। एक तरफ आज नदी, पोखर, तालाब सूख रहे हैं और जो अभी तक नहीं सूखे हैं उनके अंदर प्लास्टिक और पॉलिथीन का कचरा भर चुका है। ऐसे में पर्यावरण और समाज को बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन का पूर्ण बहिष्कार करना जरूरी है। इसके साथ इसका उपयोग ना करने का संकल्प लेना भी जरूरी है।
प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग को लेकर समाज में जागरूकता और इसके उपयोग ना करने को लेकर एकता परिषद और सर्वोदय समाज ने अपने ‘न्याय और शांति पदयात्रा’ के दौरान आने वाले गाँव में लोगों को संकल्प दिलाया। बताते चलें कि एकता परिषद और सर्वोदय समाज द्वारा 12 दिवसीय पदयात्रा “न्याय और शान्ति पदयात्रा - 2021”, 21 सितम्बर, अन्तराष्ट्रीय शान्ति दिवस के मौके पर शुरू की गई है। एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार प्लास्टिक और पॉलिथीन के बहिष्कार के कार्यक्रम को लेकर कहते हैं, “जब हम स्वस्थ वातावरण की बात करते हैं तो हमें प्लास्टिक से बनी हर वस्तु ग्लास, प्लेट, और पॉलिथीन आदि का पूर्ण बहिष्कार करना होगा। हम यात्रा के दौरान लोगों को ऐसी वस्तुओं के उपयोग को लेकर जागरूक कर रहे हैं जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है। इसके साथ ही इस तरह की वस्तुओं का पूर्ण बहिष्कार का संकल्प भी लोगों को दिला रहे हैं।” उत्तरप्रदेश के झांसी से पदयात्री के रूप में शामिल मेवा सहरिया कहती हैं, “आज समाज में हर उस वस्तुओं के बहिष्कार की आवश्यकता है जो समाज में अशान्ति का कारण है। हर वह वस्तु जो समाज और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है ऐसी वस्तुओं के उपयोग ना करने को लेकर संकल्प लेने की आवश्यकता है।” मध्यप्रदेश के धार जिले में पदयात्रा की अगुवाई कर रही एकता परिषद की राष्ट्रीय संयोजक श्रद्धा कश्यप के अनुसार, “प्लास्टिक और पॉलिथीन की वस्तुओं के उपयोग से हमारे पर्यावरण पर तो इसका असर हो ही रहा है, इसके साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर हो रहा है। आज खाने की वस्तुओं को भी पॉलिथीन और प्लास्टिक में पैक कर के बेचा जा रहा है। तो ऐसे में स्वस्थ्य समाज के लिए इसका बहिष्कार करना बेहद आवश्यक हो गया है।”
झारखंड के हजारीबाद से चुन्नूलाल सोरेन कहते हैं, “यात्रा के दौरान जहां भी सामूहिक भोजन का आयोजन होता है हम वहाँ पत्ते से बनी थाली और ग्लास का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग करने के बाद उसे नष्ट करना बेहद कठिन होता है। यदि उसे जलाते हैं तो भी पर्यावरण का हम नुकसान करते हैं और यदि उसे खुले मैदानों में डाल देते हैं तब भी हम जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट करने में अपनी भागीदारी निभा रहे होते हैं।” छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला से राजू के अनुसार “प्लास्टिक और पॉलिथीन तो हमारे पर्यावरण लिए नुकसानदायक है ही इसके साथ-साथ इसका प्रभाव गरीब मजदूरों पर आर्थिक रूप से भी पड़ता है। प्लास्टिक और पॉलिथीन से बनी वस्तुओं के मुकाबले पत्ते और प्राकृतिक चीजों से बनी वस्तुएं हमें कम दाम में मिल जाती है। पत्ते और प्राकृतिक चीजों से बनी वस्तुओं के उपयोग करने से हम अपने पर्यावरण को तो सुरक्षित करते ही हैं, इसके साथ ही हम आर्थिक रूप से अतिरिक्त पड़ने वाले भार से भी बच जाते हैं। इस पदयात्रा के दौरान हम लोगों को पत्ते और प्राकृतिक चीजों से बने वस्तुओं के उपयोग करने को लेकर प्रोत्साहित कर रहे हैं।” उल्लेखनीय है कि एकता परिषद और सर्वोदय समाज द्वारा 12 दिवसीय पदयात्रा “न्याय और शान्ति पदयात्रा - 2021”, 21 सितम्बर, अन्तराष्ट्रीय शान्ति दिवस के मौके पर शुरू की गई है। यह पदयात्रा देश के 105 जिलों के साथ-साथ विश्व के 25 देशों में आयोजित की जा रही है। वहीं मध्यप्रदेश में यह पदयात्रा 27 जिलों में चल रही है। यात्रा के दौरान लगभग पांच हजार पदयात्री पैदल चल रहे हैं और लगभग दस हजार किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। इस ऐतिहासिक पदयात्रा का समापन 2 अक्टूबर, अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर की जाएगी। 2 अक्टूबर को दुनिया में अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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