हिन्दी पखवाड़े के समापन अवसर पर डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र सम्मानित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 27 सितंबर 2021

हिन्दी पखवाड़े के समापन अवसर पर डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र सम्मानित

krishna-gopal-mishra-honored
शासकीय नर्मदा महाविद्यालय होशंगाबाद में आज हिन्दी पखवाड़े के समापन अवसर पर कविता पाठ का आयोजन किया गया ।जिसमें मुख्य कवि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर विनोद निगम  रहे‌ इस अवसर पर प्राचार्य डॉ ओ एन चौबे ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कविता ऐसी सरल अभिव्यक्ति है जो  अपने अनुभवों विचारों को मूर्त रूप देती है तथा दुनिया के कोलाहल से दूर हमें मन की शांति प्रदान करती है ।कार्यक्रम के संयोजक डॉ के जी  मिश्र ने कविता को स्वानुभूति बताया और माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं पंक्तियां को पढ़कर बताया कि साहित्यकार समाज के ह्रदय को उसकी मानसिक स्थिति को परिवर्तित करने की सामर्थ्य रखता है | साहित्य के शब्दो में वो ताकत है जिससे प्रेरित होकर  युवा अपने घर को छोड़कर देश भक्ति से ओतप्रोत होकर प्राणों के बलिदान हेतु तैयार हो जाता है |   भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएं  समाज की दिशा निर्धारण करती हैं ।मुख्य अतिथि डॉ विनोद निगम ने कविता अच्छा लगता है, चिड़ियों ने आना छोड़ दिया और होशंगाबाद तथा मां नर्मदा पर रचित कविताएं सुनाकर यह संदेश दिया कि कविता की रचना के लिए सच में सरल होना, विनम्र होना आवश्यक है  | सहज अभिव्यक्ति ही कविता है जिसमें भारी भरकम शब्दों की गुंजाइश नहीं होती। श्रीमती आशा ठाकुर ,डॉ अंजना यादव ,छात्र देवांश बैरागी ,छात्रा सोनल पांडे ,दीपेश नामदेव, सागर सरेआम आदि  ने देश भक्ति, सांस्कृतिक ,वीर रस पर स्वरचित और सस्वर कविता पाठ का गायन किया। इतिहास विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ हंसा व्यास ने अपना माँ तुम स्वर नहीं सरगम हो, ईश्वर की रचना नहीं ईश्वर हो कविता पाठ करते हुए डॉ. के.जी. मिश्र का अपनी माताजी की स्मृति में शॉल श्रीफल और स्वयं की लिखी किताब भेंट देकर सम्मान किया। कार्यक्रम का आभार डॉ अंजना यादव तथा संचालन डॉ. एच.एस द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. बी सी जोशी ,डॉ संजय चौधरी, डॉ आर एस बोहरे,  डॉ सुधीर दिक्षित, डॉ एन आर अडलक ,डॉ बी एल राय,  सुश्री प्रीति कौशिक, डॉ अर्पणा श्रीवास्तव तथा आकाश अहिरवार बलराम अहिरवार भवानी अहिरवार , विजेंद्र बकोरिया,विनीता अशवारे, वैशाली प्रधान सहित अत्यधिक संख्या में छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम कॉन्फ्रेंस हॉल में संपन्न हुआ।

कोई टिप्पणी नहीं: