नयी दिल्ली, एक सितंबर, केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि ‘‘बिचौलियों’’ को गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष कहा, ‘‘यह जंतर मंतर या रामलीला मैदान नहीं है।’’ पीठ अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ सदरे आलम नाम के व्यक्ति की जनहित याचिका और एक गैर सरकारी संगठन की अर्जी सुनवाई कर रही थी। इस संगठन ने अस्थाना की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। मेहता ने कहा, ‘‘दोनों को नियुक्ति को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है...कोई भी बिचौलिया अदालत नहीं आ सकता।’’ पीठ ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र और अस्थाना से जवाब मांगा तथा मामले पर अगली सुनवाई के लिए आठ सितंबर की तारीख तय कर दी। मेहता ने कहा कि ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय के समक्ष मौजूदा याचिका की उस याचिका से नकल की गयी है जो उच्चतम न्यायालय में लंबित है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि श्रीमान आलम ने श्री भूषण (एनजीओ के वकील) की नकल की और उनके बताए खतरनाक रास्ते पर चले। याचिकाकर्ता की जांच होनी चाहिए। यह बहुत गंभीर है..टंकण की एक जैसी त्रुटि होने जितना संयोग नहीं हो सकता।’’
मेहता ने याचिका के गुण-दोष पर जवाब देने के लिए वक्त मांगा ओर कहा कि अदालत को कोई भी आदेश जारी करने से पहले ‘‘प्रभावित अधिकारी’’ की दलीलें भी सुननी चाहिए। एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आलम की याचिका दुर्भावनापूर्ण और उच्चतम न्यायालय में लंबित याचिका की ‘‘पूरी तरह नकल’’ है। इस एनजीओ ने अस्थाना की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इस अदालत के समक्ष दलीलें पेश करने का इरादा नहीं है क्योंकि एनजीओ की याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है। याचिकाकर्ता के वकील बी एस बग्गा ने कहा कि याचिका किसी दूसरी याचिका की ‘‘नकल’’ नहीं है। उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में आलम ने अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्त करने के गृह मंत्रालय के 27 जुलाई के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने अंतर कैडर नियुक्ति और उनके सेवा विस्तार की अनुमति देने वाले आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया। वकील बी एस बग्गा के जरिए दायर याचिका में उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में जारी निर्देश के अनुसार दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के लिए कदम उठाने का भी अनुरोध किया गया है। उच्चतम न्यायालय में दायर ऐसी ही एक याचिका में सीपीआईएल ने केंद्र सरकार को 27 जुलाई का आदेश दिखाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जिसमें गुजरात कैडर से अस्थाना की एजीएमयूटी कैडर में नियुक्ति को मंजूरी दी गयी है। याचिका में न्यायालय से अस्थाना की सेवा अवधि के विस्तार का केंद्र का आदेश भी रद्द करने का अनुरोध किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने 25 अगस्त को उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि इस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्त करने के खिलाफ लंबित याचिका पर दो सप्ताह के भीतर फैसला करे।
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