देहरादून, 18 सितंबर, महामारी की दूसरी लहर की वजह से महीनों तक निलंबित रहने के बाद उत्तराखंड में हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में स्थित चार पवित्र धामों की यात्रा कोविड प्रोटोकॉल के साथ शनिवार से शुरू हो गई। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि यात्रा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का अनुपालन सुनिश्चित करने संबंधी प्रबंधों के बीच आसपास के गांवों से श्रद्धालुओं ने आज सुबह मंदिरों में पहुंचना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों पर सीसीटीवी के जरिए नजर रखी जा रही है, जिससे कि यह पता चल सके कि कहीं कोविड-19 प्रोटोकॉल का कोई उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। तीर्थयात्रियों को चार धामों-बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के गर्भ गृह में जाने की अनुमति नहीं है। गौड़ ने कहा कि देर से शुरू हुई यह तीर्थयात्रा नवंबर के मध्य तक चलेगी। चारधाम यात्रा के शुरू होने से श्रद्धालुओं और ऐसे काराबोरियों के चेहरों पर खुशी आ गई ,है जिनकी आजीविका इस यात्रा से जुड़ी है। हालांकि, मंदिरों के कपाट नियमित पूजा-अर्चना के लिए मई में ही खुल गए थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से इन्हें श्रद्धालुओं के लिए बंद रख गया था।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा यात्रा पर लगा स्थगन वापस लिए जाने के बाद आज सुबह से चारधाम यात्रा शुरू हो गई। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि आज शाम चार बजे तक 419 लोगों ने बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शन किए, जबकि ज्यादातर स्थानीय लोगों ने गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने चारधाम यात्रा के लिए शनिवार शाम तक 19,491 ई- पास जारी किए हैं। इस बीच, चमोली जिले में स्थित सिख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट भी शनिवार को श्रद्धालुओं के लिए खुल गए। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने भी कोविड प्रोटोकॉल का कड़ा अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी की गई एसओपी में दैनिक तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित कर दी गई है, जिसके तहत बद्रीनाथ में हर रोज 1,000 लोग, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री मंदिर में 400 लोग हर रोज दर्शन कर सकते हैं। इसने कहा कि ऐसे लोगों को यात्रा की अनुमति होगी, जिन्हें कम से कम 15 दिन पहले कोविड रोधी टीके की दूसरी खुराक लग चुकी हो या जिनके पास नेगेटिव आरटी/पीसीआर/ट्रूनैट/सीबीएनएएटी/ आरएटी रिपोर्ट हो, जो 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए। हालांकि, उत्तराखंड के लोगों को स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन राज्य से बाहर आने वाले लोगों के लिए यह आवश्यक है। वहीं, कोविड महामारी के अधिक मामलों वाले राज्यों-जैसे केरल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के तीर्थयात्रियों को कोविड संबंधी नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने के बाद ही ई-पास जारी किया जाएगा, भले ही उन्हें कोरोना रोधी टीके की दोनों खुराक क्यों न लग गई हों।
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