- सरकार के इशारे पर हुई हत्या व मौत पर मनाया गया जश्न, पटना में नागरिकों का प्रतिवाद, नफरत की राजनीति के खिलाफ एकजुट होने का वक्त, असम के मुख्यमंत्री तत्काल इस्तीफा दें, दर्रांग के एसपी को पद से हटाकर कार्रवाई की जाए.
पटना 26 सितंबर असम के दर्रांग में विगत दिनों 40-42 वर्षों से अपनी जमीन पर रह रहे मुस्लिम समुदाय से आने वाले एक व्यक्ति की जिस प्रकार से हत्या की गई और उसकी लाश पर जश्न मनाया गया, वह मानवता के लिए शर्मनाक है. यह हत्या पूरी तरह से सरकार के आदेश पर हुई है और एक खास समुदाय के प्रति नृशंसता की चरम अभिव्यक्ति है. मुसलमानों को इस देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना देने के भाजपा-संघ के घोषित एजेंडे का यह सबसे निकृष्ट उदारहण है. हमारी मांग है कि इस घटना की जिम्मेवारी लेते हुए असम के मुख्यमंत्री तत्काल इस्तीफा दें और दर्रांग के एसपी जो उनके भाई हैं, उनको पद से हटाकर उनपर कड़ी कार्रवाई की जाए. उक्त बातें आज पटना में एआइपीएफ के बैनर से असम के दर्रांग की बर्बर व सांप्रदायिक हत्या की घटना के खिलाफ आयोजित नागरिक प्रतिवाद को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा ने कही. विदित हो कि इस नृशंस व सांप्रदायिक नफरत से ओत-प्रोत घटना के खिलाफ आज पूरे देश में विरोध हो रहा है. पटना के बुद्ध स्मृति पार्क में आज संध्या तीन बजे पटना का नागरिक समुदाय जमा हुआ और इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया. नागरिक प्रतिवाद में बड़ी संख्या में राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं, संस्कृतिकर्मियों, मानवाधिकार संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता जल विशेषज्ञ रंजीव ने तथा संचालन एआइपीएफ के संयोजक कमलेश शर्मा ने की. नागरिक प्रतिवाद में भाकपा-माले, आइसा, इनौस, ऐपवा के लोग भी शामिल हुए. पीयूसीएल के राज्य सचिव सरफराज ने इस मौके पर कहा कि आज मुसलमानों के पक्ष में बोलना सबसे बड़ा गुनाह हो गया है. आज बिहार से लेकर असम तक मुसलमानों, कमजोर वर्ग के लोगों व गरीबों के खिलाफ केवल और केवल नफरत दिखती है. उन्होंने अररिया जिले के फारबिसगंज की घटना को याद करते हुए कहा कि दर्रांग की घटना ठीक उसी तरह की है. बिहार में नीतीश जी के शासन में जिस प्रकार से फारबिसगंज की घटना घटी थी, वह भी मानवता के लिए बेहद शर्मनाक है.
प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ. पीएनपीपाल ने कहा कि आदिवासियों, गरीबों, मुसलमानों के साथ हमारी सरकारें जानवरों का व्यवहार कर रही है. सारे लोकतांत्रिक अधिकार कुचल दिए गए हैं. यही फासीवाद है. पेशे से शिक्षक अली अदनान ने कहा कि जिन सरकारों को अपने नागरिकों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आॅक्सीजन आदि की व्यवस्था करनी चाहिए थी, वे नफरत की खेती कर रहे हैं और एक खास समुदाय को टारगेट कर रहे हैं. पीयूसीएल के किशोरी दास ने कहा कि यह भाजपा के बांटो व काटो की राजनीति का ही हिस्सा है. यह प्रगतिशील ताकतों की जिम्मेवारी है कि वे पूरी मुस्तैदी से इस नफरत की राजनीति का जवाब दें. बिहार के चर्चित संस्कृतिकर्मी विनोद ने कहा कि असम की घटना पर हम सब शर्मिन्दा हैं. कुछ सालों से यह नफरत की राजनीति दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. आज वक्त है कि हम सभी अपने छोटे-मोटे मतभेदों को भूलाकर इस नफरत की राजनीति के खिलाफ खड़ा हों. राजसत्ता ही आज नफरत के माहौल को कायम कर रही है. इस नफरत की राजनीति के खिलाफ हमें एकजुट होना होगा. ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जमीन खाली कराने के नाम पर की गई यह हत्या भाजपा सरकार की नृशंसता व उसके मुस्लिम विरोधी एजेंडे की खुली अभिव्यक्ति है. जो आदमी मारा गया, वह 40-42 वर्षों से उस जगह पर रह रहा है, उसके पास जमीन के कागजात हैं, वह टैक्स देता है, फिर वह गैरकानूनी कैसे हुआ? घर बचाने की कोशिश कर रहा निहत्थे व्यक्ति को मुठभेड़ के नाम पर मार देना लोकतंत्र का माखौल नहीं तो और क्या है? उसकी लाश पर कूदना कहां की इंसानियत है? यह वही प्रदेश है जहां एनआरसी के जरिए भाजपा ने सांप्रदायिक विभाजन का कार्ड खेला था. लेकिन उनके इस मंसूबे को हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे. नागरिक प्रतिवाद में वरिष्ठ किसान नेता केडी यादव, अभ्युदय, विधायक गोपाल रविदास, सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रकांता खां, विजय श्री डांगरे, मुक्ति प्रकाश, ऐपवा की शशि यादव, उमेश सिंह, अभय कुमार पांडेय, राजेन्द्र पटेल, रणविजय कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे.
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