- विधानसभा से लेकर सड़कों तक उठाया मामला, लेकिन सरकार बनी हुई है संवेदनहीन.
- कोविड काल में हुई सभी मौतों की संवैधानिक जिम्मेवारी सरकार की बनती है.
पटना 23 सितंबर, भाकपा-माले ने कोविड काल में हुई मौतों पर केंद्र व राज्य सरकार के झूठ व गैरजवाबदेह आचरण के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया है. यह याचिका स्वीकार कर ली गई है. भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल इसके याचिकाकर्ता हैं. बिहार के प्रख्यात वकील वसंत कुमार चैधरी इस मुकदमे में पार्टी की ओर से वकील होंगे. याचिका का नंबर म . पिसपदह दनउइमत म्ब्.ठत्भ्ब्01.64956.2021, दिनांक 22.09.21 है. पटना में आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने उक्त बातें कहीं. संवाददाता सम्मेलन को माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, वरिष्ठ नेता केडी यादव व अमर ने संबोधित किया. भाकपा-माले ने कहा है कि कोविड काल में हुई मौतों को लेकर हमारी पार्टी ने जमीनी सच्चाई को उजागर किया है. सरकार के दावे के विपरीत मौत का आंकड़ा 20 गुणा अधिक है. इस सवाल को हमारी पार्टी ने विधानसभा के अंदर उठाया. सरकार को अपने आंकड़े दिए, लेकिन सरकार इस मामले के प्रति अव्वल दर्जे की उपेक्षा अपना रही है. अंततः हम न्यायालय की शरण में गए हैं और हमें उम्मीद है कि देश व राज्य की जनता को न्याय मिलेगा. यह मुकदमा केंद्र सरकार, राज्य सरकार व हेल्थ डिपार्टमेंट के खिलाफ किया गया है. भाकपा-माले ने कहा है कि चूंकि केंद्र सरकार ने देश में कोविड-19 के फैलाव के समय इस बीमारी को महामारी घोषित किया था, इसलिए कोविड दौर में अपनी जिंदगी खो चुके लोगों को मुआवजा प्रदान करने की अपनी संवैधानिक जवाबदेही से सरकार भाग नहीं सकती है. हर मौत को रजिस्टर करने की जिम्मेवारी सरकार की है. सरकार को हर मौत का कारण बताना चाहिए और उन्हें मुआवजा प्रदान करना चाहिए, लेकिन सरकार उलटे मौतों का आंकड़ा छुपा रही है. पार्टी ने राज्य के 13 जिलों में सर्वे किया और इन जिलों का संपूर्ण आंकड़ा सरकार को दिया. डिसास्टर मैनेजमेंट 2005 के सेक्शन 12 के तहत सरकार को सभी मौतों के लिए मुआवजा प्रदान करना चाहिए था. चूंकि अस्पतालों में सिर्फ कोविड से पीड़ित मरीजों की ही भर्ती हो रही थी, इसलिए वे लोग जो सामान्य बीमारियों से मरे हैं, उसकी जबावदेही भी सरकार पर ही जाती है. और इसलिए इन मृतक परिजनों को भी सरकार को मुआवजा देना होगा. कोविड-19 और लाॅकडाउन के कारण न केवल बड़े पैमाने पर लोगों की मौत हुई है, बल्कि लोगों को सामाजिक बहिष्कार और अवसाद का भी दंश झेलना पड़ा है. इस विषय पर भी सरकार ने चुप्पी साध रखी है. सरकार का पूरा रवैया असंवैधानिक और गैर जबावेदही भरा है. यह न केवल काूनन का उल्लंघन है बल्कि तथ्यों की हत्या करने का भी प्रयास है.
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