- व्यापक अर्थव्यवस्था का लाभ उठाते हुए यह योजना भारतीय कंपनियों को वैश्विक विजेता के तौर पर उभरने में मदद करेगी, प्रत्यक्ष रूप से 7.5 लाख से भी अधिक लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगारों के साथ-साथ सहायक गतिविधियों के लिए भी कई लाख और रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी इस योजना से बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी का मार्ग भी प्रशस्त होगा,
- इस उद्योग को पांच साल में 10,683 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा, उम्मीद है कि इस योजना के परिणामस्वरूप 19,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का नया निवेश होगा और पांच वर्षों में 3 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का अतिरिक्त उत्पादन कारोबार होगा, आकांक्षी जिलों और टियर 3/4 शहरों में निवेश को उच्च प्राथमिकता, इस योजना से विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं ओडिशा जैसे राज्यों पर सकारात्मक असर होगा
नई दिल्ली, ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन की दिशा में एक और अहम कदम आगे बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 10,683 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और तकनीकी वस्त्रों के 10 खंडों/उत्पादों हेतु वस्त्र उद्योग के लिए ‘पीएलआई योजना’ को मंजूरी दे दी है। वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई के साथ-साथ आरओएससीटीएल, आरओडीटीईपी या रोडटेप और इस क्षेत्र में सरकार के अन्य उपायों जैसे कि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चा माल उपलब्ध कराने, कौशल विकास, इत्यादि से वस्त्र उत्पादन में एक नए युग की शुरुआत होगी। वस्त्र उद्योग के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय वाली पीएलआई योजना केन्द्रीय बजट 2021-22 में 13 क्षेत्रों के लिए पहले घोषित की गई पीएलआई योजनाओं का हिस्सा है। 13 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं की घोषणा के साथ, भारत में न्यूनतम उत्पादन पांच वर्षों में लगभग 37.5 लाख करोड़ रुपये का होगा और पांच वर्षों में कम से कम लगभग 1 करोड़ रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। इस योजना से देश में अधिक मूल्य वाले एमएमएफ फैब्रिक, गारमेंट्स और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को काफी बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत प्रोत्साहन संबंधी संरचना कुछ इस प्रकार से तैयार की गई है जिससे उद्योग इन खंडों या क्षेत्रों में नई क्षमताओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होगा। ऐसे में बड़ी तेजी से उभरते अधिक मूल्य वाले एमएमएफ सेगमेंट को काफी बढ़ावा मिलेगा जो रोजगार एवं व्यापार के नए अवसर सृजित करने में कपास और अन्य प्राकृतिक फाइबर आधारित वस्त्र उद्योग के प्रयासों में पूरक के तौर पर व्यापक योगदान करेगा। इसके परिणामस्वरूप भारत को वैश्विक वस्त्र व्यापार में अपना ऐतिहासिक प्रभुत्व फिर से हासिल करने में काफी मदद मिलेगी।
तकनीकी वस्त्र दरअसल नए जमाने का वस्त्र है, जिसका उपयोग अवसंरचना, जल, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, रक्षा, सुरक्षा, ऑटोमोबाइल, विमानन सहित अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में होने से अर्थव्यवस्था के इन सभी क्षेत्रों में दक्षता काफी बढ़ जाएगी। सरकार ने इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास संबंधी प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए अतीत में एक ‘राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन’ भी शुरू किया है। पीएलआई इस खंड में निवेश आकर्षित करने में और भी अधिक मदद करेगी। प्रोत्साहन संबंधी संरचना के अलग-अलग सेट को देखते हुए दो प्रकार के निवेश संभव हैं। कोई भी व्यक्ति (जिसमें फर्म/कंपनी शामिल है), जो निर्धारित खंडों (एमएमएफ फैब्रिक्स, गारमेंट) के उत्पादों और तकनीकी वस्त्र के उत्पादों के उत्पादन के लिए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और निर्माण कार्यों (भूमि और प्रशासनिक भवन की लागत को छोड़कर) में न्यूनतम 300 करोड़ रुपये निवेश करने को तैयार है, वह इस योजना के पहले भाग में भागीदारी के लिए आवेदन करने का पात्र होगा। दूसरे भाग में, कोई भी व्यक्ति (जिसमें फर्म/कंपनी शामिल है), जो न्यूनतम 100 करोड़ रुपये निवेश करने का इच्छुक है, वह योजना के इस भाग में भागीदारी के लिए आवेदन करने का पात्र होगा। इसके अलावा आकांक्षी जिलों, टियर 3, टियर 4 शहरों या कस्बों, और ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी और इस प्राथमिकता के मद्देनजर इस उद्योग को पिछड़े क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना से विशेषकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा इत्यादि राज्यों पर सकारात्मक असर होगा। यह अनुमान है कि पांच वर्षों की अवधि में ‘वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई योजना’ से 19,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का नया निवेश होगा, इस योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का संचयी कारोबार होगा, और इस सेक्टर या क्षेत्र में 7.5 लाख से भी अधिक लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगारों के साथ-साथ सहायक गतिविधियों के लिए भी कई लाख और रोजगार सृजित होंगे। वस्त्र उद्योग मुख्य रूप से महिलाओं को रोजगार देता है, अत: यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाएगी और औपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी बढ़ाएगी।
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