सादगी के साथ मनाया भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी का विवाह, आज किया जाएगा भागवत कथा का समापन
मां के संस्कार बच्चे को इंसान बना सकता
उन्होंने कहा कि परमात्मा के चिंतन करने से गर्भ में भी जीव की रक्षा हो सकती है, जीव को ज्ञान प्राप्त होता है। मां के संस्कार बच्चे को इंसान बना सकता है। घर, परिवार, समाज का उत्थान माताओं पर निर्भर है। बेटे की प्रथम गुरु मां होती है। मां के पास बच्चों के संस्कार का खजाना होता है। शरीर के अंदर मनुष्य की दो धाराएं होती हैं, विचारों और विकारों की। विचार सदगुण और धर्म को जन्म देता है जबकि विकार दुर्गुण और अधर्म पैदा करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि संकट काल में मानव को विचार करना चाहिए।
भक्त भगवान को मन से अपना मानते
भगवान अभिमान का घमंड दूर करने के लिए अवतार लेते है। मामा कंस के अत्याचार से प्रजा दुखी थी, इसलिए उसका अंत करने के लिए अवतार लिया और कंस का वध किया था। वहीं रुक्मणी ने विवाह के पूर्व ही श्रीकृष्ण को मन से पति मान लिया था, इसलिए उनका हरण नहीं हुआ बल्कि वे स्वयं उनके साथ गई। अभिमानी रुक्मि ने जब भगवान को रोकने का प्रयास किया तो उसका श्रीकृष्ण ने उसका दंभ चूर कर दिया। इसी तरह जो भक्त भगवान को मन से अपना मानते हैं, भगवान स्वयं उन्हें सद्गति प्रदान करते हैं।
आज किया जाएगा समापन
अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि शहर के बड़ा बाजार में जारी सात दिवसीय भागवत कथा का समापन आज सादगी के साथ किया जाएगा मंडल द्वारा सीमित संख्या में कथा का आयोजन किया गया था।
जिले गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए प्रशासन ने पर्यावरण प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए, कई इंतजाम किये। जिले के सभी विसर्जन स्थलों पर कुंड बनाकर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कराया जा रहा है। गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस एंव राजस्व के अधिकारी पूरे समय विर्सजन स्थलों पर उपस्थित रहें। कुंड के अलावा तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों पोखर में भी गणेश प्रतिमा के विसर्जन के लिए प्रशासन द्वारा सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं।
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