जमीनी स्तर पर समुदाय के साथ काम करने वाले स्वास्थ्य सेवा टीम के अथक प्रयास से देश को हासिल हुआ 100 करोड़ टीकाकरण- डॉ. विनोद कुमार पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य) नीति आयोग
प्रश्न- भारत ने हाल ही में 100 करोड़ टीकाकरण में सफलता प्राप्त की है, भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
प्रश्न- हमारी अब तक की इस यात्रा में क्या चुनौतियां सामने आईं और सफलता किस तरह प्राप्त हुई?
उत्तर- यहां तक पहुंचने के लिए देश ने नये वैक्सीन की सुरक्षा और उपयोगिता को लेकर लोगों की आशंकाओं को खत्म कर दिया है। नौ महीने के समय में इस बात के लिए हम आश्वस्त हो गए हैं कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है। जानकारी के अभाव में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट, भ्रामक व गलत जानकारियां आदि सभी बातों से हम आगे निकल आए हैं। यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के अनुभवों के आधार पर वैक्सीन आपूर्ति की चुनौती, परिवहन, संरक्षण या कोल्ड चेन और वैक्सीन सेंटर व अन्य जरूरी संसाधनों, संचार आदि को दुरूस्त किया गया। कोविन आईटी प्लेटफार्म की लाभार्थियों के वैक्सीन सत्र आवंटित करने, प्रमाणपत्र जारी करने और डाटा प्रबंधन में अहम भूमिका रही। हमारे वैज्ञनिक, चिकित्सक, उद्यमी और व्यवसाय के क्षेत्र के नेताओं ने भी इस प्रयास में योगदान दिया। डीबीटी और आईसीएमआर की हमारी प्रयोगशालाओं ने दिन रात काम किया। लेकिन सही मायने में 100 करोड़ टीकाकरण की सफलता उन सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की बदौलत संभव हुई जिन्होंने जमीनी स्तर पर समुदायों के साथ मिलकर काम किया। स्वास्थ्य कर्ताओं ने जमीनी स्तर पर लोगों को टीकाकरण केन्द्र तक लाने के लिए कई तरह की सामाजिक और भौगोलिक चुनौतियों का सामना किया। 100 करोड़ टीकाकरण हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की पहुंच और उपलब्धता को प्रदर्शित करता है।
प्रश्न- सरकार ने टीको के अनुसंधान और विकास को सुविधाजनक बनाने, समर्थन देने और प्रोत्साहित करने के लिए क्या किया?
उत्तर- एक ऐसा देश जिसे विश्व भर के दो तिहाई बच्चों की वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए दुनिया की फार्मेसी के नाम से जाना जाता हो, उसे कोविड19 वैक्सीन के विकास व निर्माण की चुनौत दी गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू से ही इस यात्रा में आर्शीवाद और मार्गदर्शन दिया। इसके लिए सरकार ने अप्रैल 2020 की शुरूआत में ही एक टास्क फोर्स की स्थापना की, जिससे सरकार ने अनुसंधान संगठनों, उद्योगों में अनुसंधान एवं विकास की पहल की देखरेख समर्थन, प्रोत्साहन और निगदानी की गई।
वैक्सीन के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया और उन्हें शोध और विकास के लिए सहयोग दिया गया।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने उद्योगों और अनुसंधान समूहों के लिए अपने लैबारेटरी को को खोल दिया। आईसीएमआर ने कोवैक्सिन के निर्माण के लिए उद्योगों को वैक्सीन वायरस स्ट्रेन उपलब्ध कराया। डीबीटी ने वैक्सीन परीक्षण के लिए 18 वैक्सीन ट्रायल साइट प्रदान किए। सरकार ने बहुआयामी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों सहयोग देने के लिए 900 करोड़ रुपए का कोविड सुरक्षा मिशन शुरू किया। कम से कम आठ संस्थाओं को बड़े अनुदान प्राप्त हुए। सरकार ने वैक्सीन विकास की प्रतिबद्धता के तहत एक अन्य वैक्सीन के लिए अग्रिम भुगतान भी कर चुकी है। वैक्सीन कार्यान्वयन के लिए गठित नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑफ वैक्सीन इम्पलिमेंटेशन (नेगवैक) ने टीकाकरण कार्यक्रम के लिए गाइडलाइन उपलब्ध कराई। सरकार वैक्सीन निर्माताओं के समूहों के साथ लगातार संपर्क में है, टीकाकरण के लिण् नियामक कदमों को सुव्यवस्थित किया गया और सभी सुविधाएं सुनिश्चित की गईं। आज भारत में निर्मित कोविशील्ड (सीरम) और कोवैक्सिन (भारत बायोटेक) अब तक के टीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य आधार रही हैं। लेकिन हमारे उद्योगों ने आगामी कुछ महीनों में चार अन्य वैक्सीन निर्माताओं के साथ भी साक्षेदारी की गई, जिसमें एक डीएनए आधारित वैक्सीन (जायडस जिसको पहले ही लाइसेंस दिया जा चुका है) एक एमआरएनए आधारित वैक्सीन (जेनोवैक्स) एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन (बायो ई) और भारत बायोटेक की इंट्रानेजल वेक्टर वैक्सीन शामिल है। इसके अतिरिक्त भारतीय कंपनियों ने तीन विदेश में विकसित वैक्सीन स्पूतनिक लाइट, नोवावैक्स और जॉनसन एंड जॉनसन से भी तकनीकि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी कर ली है। कुल मिलाकर भारत की झोली में देश में ही निर्माण की जाने वाली नौ वैक्सीन है, और किस देश के पास इनती अधिम संख्या में वैक्सीन के प्रोफाइल है? यह सभी हमारे लक्ष्य को पूरा करने के लिए साथ वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की जरूरत को भी पूरा करेगीं।
प्रश्न- इस स्तर के टीकाकरण का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा? क्या उन्हें अब भी सावधानियां जारी रखने की जरूरत है?
उत्तर- हमारे विशाल देश की तीन चौथाई युवा आबादी को कोविड वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है, जिससे उन्हें कोरोना संक्रमण का रक्षा कवच या प्रतिरक्षा ढाल मिल चुकी है। यह सभी बड़े पैमाने पर कोविड19 के कारण होने वाले गंभीर संक्रमण और मृत्युदर से सुरक्षित हैं। यह उन्हें एक सामान्य जीवन (न्यू नार्मल) जीने मे सक्षम बनाता है। लेकिन यह सभी दूसरों को संपर्क के माध्यम से संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए जिन लोगों ने कोविड19 का वैक्सीन लिया है उन्हें भी बचाव के सभी उपायों को अपनाना जरूरी है। हम सभी को आवश्यक रूप से मास्क का प्रयोग करना चाहिए, हमें भीड़ से और घरों में भी लोगों के अधिक नजदीक आने से बचना चाहिए। त्योहार के समय हमें दोगुनी सुरक्षा अपनानी होगी। क्यों न हम घर पर ही रहकर अपनों के साथ सुरक्षित त्योहार मनाएं, पूजा पंडाल और बाजारों की भीड़ में जाने से बचें। त्योहार का मौसम हर साल आएगा, लेकिन अगर हम सावधानीपूर्वक और सामान्य तरीके से त्योहार मनाते हैं तो महामारी को बढ़ने से रोक सकते हैं। अगले तीन महीने में हमने टीकाकरण का एक उच्च लक्ष्य प्राप्त करना है साथ ही जिम्मेदार सामूहिक संयम और आचरण द्वारा अगले किसी भी प्रकोप को रोकना भी है।
प्रश्न- इस स्तर पर हमारी अन्य चिंताएं क्या हैं?
उत्तर- भारत इस समय एक नाजुक दौर से गुजर रहा है, अगले तीन महीने बहुत चुनौतीपूर्ण हैं। हमें दोनों डोज के टीकाकरण कवरेज के साथ एक संपूर्ण टीकाकरण की स्थिति को प्राप्त करना है। हमें सर्तकता बनाएं रखने के साथ ही नये वेरिएंट पर भी नजर रखनी है। क्योंकि नये वेरिएंट की उत्पत्ति या वेरिएंट ऑफ कंसर्न पूरी तरह अप्रत्याशित होता है। किसी भी देश में घातक नये वेरिएंट का मिलना सभी के लिए खतरा है और यही सबसे बड़ी चिंता और अज्ञात डर है। हमारी निगरानी तंत्र की टीम को नये वेरिएंट पर कड़ी नजर रखनी होगी, और वैक्सीन में किसी भी तरह के बदलाव के लिए हमारे वैक्सीन वैज्ञानिक और उद्योगों को तैयार रहना होगा।
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