बांग्लादेश का इतिहास हिंदु समुदाय के लिए चिंता विषय पैदा करता गया। हिंदुओं पर जमकर जुल्म ढाए गए। इनकी उठती आवाज को उनके इंसानी शरीर के साथ हमेशा के लिए मिटा दिया गया। वर्ष 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने 30 लाख से अधिक हिंदुओं का नरसंहार कर दिया। हिंदुओं के गांव के गांव का सफाया कर दिए गए। फिर क्या बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 18.5 फीसदी से घटकर 13.5 फीसदी पर आ गयी। इसकी पुष्टि तब और हो जाती है, जब बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर वर्ष 2016 में ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अबुल बरकत की शोध पुस्तक आयी। इस पुस्तक में तो यहां तक दावा किया गया है कि अगले करीब तीन दशक में बांग्लादेश से हिंदुओं का नामोनिशान मिट जाएगा। बरकत के मुताबिक हर दिन अल्पसंख्यक समुदाय के औसतन 632 लोग बांग्लादेश छोड़कर जा रहे हैं। देश छोड़ने की यह दर बीते 49 सालों से चल रहा है। आगे भी पलायन का यह दौर जारी रहा तो अगले 30 सालों में देश से करीब-करीब सभी हिंदू चले जाएंगे। शोध के अनुसार 1971 के मुक्ति संग्राम से पहले हर रोज औसतन 705 हिंदुओं ने देश छोड़ा। इसके 1971 से 1981 के दौरान हर रोज औसतन 513 हिंदुओं ने देश छोड़ा। वर्ष 1981 से 1991 के बीच हर रोज 438 हिंदुओं ने देश छोड़ा। फिर 1991 से 2001 के बीच औसतन 767 लोगों ने देश छोड़ा, जबकि 2001 से 2012 के बीच हर रोज औसतन 774 लोगों ने देश छोड़ा। बांग्लादेश के इतिहास में ऐसा कोई कालखंड नहीं रहा जिसमें अल्पसंख्यक हिंदू बांग्लादेश छोड़कर जाने को मजबूर नहीं हुए।
बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या कुल जनसंख्या की 30 फीसदी से अधिक थी। 1947 में देश के बंटवारे और फिर 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश के बंटवारे के वक्त वहां के हिंदुओं को सबसे अधिक पीड़ा झेलनी पड़ी। इस दौरान बड़ी संख्या में हिंदुओं का कत्लेआम किया गया और काफी हिंदू सीमा पार कर भारत में शरण लेने को मजबूर भी हुए। इतना ही नहीं एक बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन तक करवाया गया। इस तरह से देखी जाए तो पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जो धर्मनिरपेक्ष धर्म का निर्वहन करते हुए सभी धर्मों के मानने वालों को अपने-अपने विधि सम्मत से पूजा-अर्चना करने की आजादी को दे रखा है। बावजूद इसके बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ अव्यवहारिक रवैया अपनाया जाना किसी भी स्तर पर न्यायोचित नहीं है। किसी न किसी बहाने हिंदुओं को ग्रास बनाकर उनका अंत करना और किसी भी राष्ट्र से उनका सफाया किया जाना उनके लिए भी परेशानी का सबब बन जाएगा। अगर इन तथ्यों पर गौर करें तो मैं पूछना चाहता हूं भारत के सियासतजादाओं से कि फिर भारत को हिंदु राष्ट्र घोषित करने की चर्चा मात्र पर विरोध जताना कहां तक जायज है।
पटना
मो.9430623520
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