नयी दिल्ली 24 अक्टूबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश के महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए हमें अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना सिखाया है। श्री मोदी ने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में आज कहा कि इस समय हम अमृत महोत्सव में देश के वीर बेटे-बेटियों की उन महान पुण्य आत्माओं को याद कर रहे हैं। अगले महीने, 15 नवम्बर को हमारे देश के ऐसे ही महापुरुष, वीर योद्धा, भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म-जयंती आने वाली है। भगवान बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ ( धरती पिता ) भी कहा जाता है। भगवान बिरसा मुंडा ने जिस तरह अपनी संस्कृति, अपने जंगल, अपनी जमीन की रक्षा के लिय संघर्ष किया, वो धरती आबा ही कर सकते थे। उन्होंने हमें अपनी संस्कृति और जड़ों के प्रति गर्व करना सिखाया। विदेशी हुकूमत ने उन्हें कितनी धमकियाँ दीं, कितना दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने आदिवासी संस्कृति को नहीं छोड़ा।
उन्होंने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण से अगर हमें प्रेम करना सीखना है, तो उसके लिए भी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा हैं। उन्होंने विदेशी शासन की हर उस नीति का पुरजोर विरोध किया, जो पर्यावरण को नुकसान पहुचाने वाली थी। गरीब और मुसीबत से घिरे लोगों की मदद करने में भगवान बिरसा मुंडा हमेशा आगे रहे। उन्होंने सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए समाज को जागरूक भी किया। उलगुलान आंदोलन में उनके नेतृत्व को भला कौन भूल सकता है। इस आंदोलन ने अंग्रेजो को झकझोर कर रख दिया था।इसके बाद अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा पर बहुत बड़ा इनाम रखा था। अंग्रेज़ी हुकूमत ने उन्हें जेल में डाला, उन्हें इस कदर प्रताड़ित किया गया कि 25 साल से भी कम उम्र में वह हमें छोड़ गए। वो हमें छोड़कर गए, लेकिन केवल शरीर से। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनमानस में तो भगवान बिरसा मुंडा हमेशा-हमेशा के लिए रचे-बसे हुए हैं। लोगों के लिए उनका जीवन एक प्रेरणा शक्ति बना हुआ है। आज भी उनके साहस और वीरता से भरे लोकगीत और कहानियां भारत के मध्य इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं। मैं ‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा को नमन करता हूं और युवाओं से आग्रह करता हूं कि उनके बारे में और पढ़ें। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी समूह के विशिष्ट योगदान के बारे में आप जितना जानेंगे, उतनी ही गौरव की अनुभूति होगी।
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