1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) की स्थापना की गई। यह पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ),और "रोटरी इंटरनेशनल" और अन्य जो पोलियो उन्मूलन के लिए वैश्विक स्तर पर दृढ़ संकल्प थे, उनके द्वारा की गई। पोलियो या पोलियोमेलाइटिस, एक अपंग यानी विकलांग करने वाली घातक बीमारी है। पोलियो वायरस के कारण यह बीमारी होती है। व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला कर सकता है, जिससे पक्षाघात होने की आशंका होती है। पक्षाघात की स्थिति में शरीर को हिलाया नहीं जा सकता और व्यक्ति हाथ, पैर या अन्य किसी अंग से विकलांग हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन व रोटरी के लगातार व अथक प्रयासों और विभिन्न देशों की सरकारों की दृढ़ता के साथ टीकाकरण अभियान ने दुनिया को पोलियो से बचाया। भारत पिछले 7-8 वर्षों से पोलियो मुक्त हो चुका है। हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों में विकलांगता के कुछ केस सामने आते हैं।
दो तरह की पोलियो वैक्सीन का ईजाद हुआ
दुनियाभर में पोलियो का मुकाबला करने के लिए दो तरह की पोलियो वैक्सीन का ईजाद हुआ। पहला जोनास सॉल्क द्वारा विकसित किया गया टीका, जिसका साल 1952 में पहला परीक्षण किया गया और 12 अप्रैल 1955 को इसे प्रमाणित कर दुनियाभर में उपयोग के लिए प्रस्तुत किया गया। यह निष्क्रिय या मृत पोलियो वायरस की खुराक थी। वहीं, एक ओरल टीका अल्बर्ट साबिन ने भी तनु यानी कमजोर किए गए पोलियो वायरस का उपयोग करके विकसित किया था, जिसका साल 1957 में परीक्षण शुरू हुआ और 1962 में लाइसेंस मिला। सबसे पहले टीका विकसित करने के लिए दुनिया डॉक्टर साल्क का योगदान याद करती है। चूंकि, पोलियो अब मात्र कुछ स्थानों पर ही बचा है, अतः, रोटरी अपने स्तर से 24 अक्टूबर को यह दिवस मनाती है व लोगो को जागरूक करती है की पोलियो का जड़ से उन्मूलन कर विश्व को स्वस्थ बनाए और मानवता की रक्षा करे। यहां यह उल्लेख करना आवशयक है कि रोटरी इंटरनेशनल ने पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम को एक मिशन के रूप में लेते हुए, अपने सदस्यों के साथ लगतारसेवा कार्य किया है। वुश्व में किसी गैर सरकारी संस्थान द्वारा ईस प्रकार का यह सबसे बृहद कार्य है। 2 बिलयन डॉलर अभी तक इस दिशा में रोटरी द्वारा खर्च किया जा चुका है। हालांकि, भारत 2011 मे ही पोलियो फ्री घोषित किया जा चुका है, परन्तु सावधानी के दृष्टिकोण से इसपर ध्यान देने की देश को ज़रूरत है और रोटरी सतत प्रयत्नशील है।
कुसुम ठाकुर
प्रधान संपादक
आर्यावर्त
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