- * दार्जिलिंग की चाय, बनारस की साड़ी, तिरूपति के लड्डू की भांति पश्चिम चम्पारण का मरचा चूड़ा देश-विदेशों में बिखेरेगा सुगंध और स्वाद
- * बेजोड़ स्वाद और दमदार सुगंध के मामले में मरचा चूड़ा का नहीं है कोई सानी।
- * जीआई टैग के माध्यम से विशेष पहचान दिलाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में।
- * ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को मिलेगा बढ़ावा, किसानों की आर्थिक स्थिति होगी सुदृढ़।
- * पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी होगा।
बेतिया। पश्चिम चम्पारण जिले के मरचा चूड़ा का स्वाद और सुगंध की ख्याति बिहार राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों में फैली हुई है। जब भी कोई बाहरी व्यक्ति पश्चिम चम्पारण जिला आता है तो मरचा चूड़ा का स्वाद लेना नहीं भूलता है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में आने साथ ले जाकर अपने घर-परिवार, मित्रों को खिलाने में अपनी शान समझता है, क्योंकि पश्चिम चम्पारण के मरचा चूड़ा में जो स्वाद और सुगंध है, वह किसी अन्य चूड़ा में नहीं है। पश्चिम चम्पारण के मरचा चूड़ा को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जी-आई टैग के माध्यम से पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा लगभग पांच-छह माह पूर्व से ही प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी और वर्तमान समय में यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। शीघ्र ही जी-आई टैग मिलने की प्रबल संभावना है। जी-आई टैग उसी प्रॉडक्ट को मिलता है, जो एक खास एरिया में बनाया बनाया या उत्पादित किया जाता है। साथ ही टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलता है। पर्यटक इसी बहाने उस एरिया में पर्यटन के लिए जाते हैं। खेती से जुड़ा प्रोडक्ट होने के कारण किसानों को फायदा मिलता है। इससे फेक प्रोडक्ट को रोकने में मदद मिलती है। जहां के जिस प्रोडक्ट को जी-आई टैग मिला है, उसे कोई और नहीं बेच सकता है। गलत तरीके से जी-आई टैग अथवा लोगो का इस्तेमाल करने पर यह अपराध की श्रेणी में आता है और दंडनीय भी है। जी-आई टैग मिलने के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में मरचा चूड़ा की कीमत और महत्व काफी बढ़ा जायेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा मिलने के साथ ही गरीब किसानों को संरक्षण भी प्राप्त होगा। किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण भी प्राप्त होगा।
जिलाधिकारी, पश्चिम चम्पारण, बेतिया, श्री कुंदन कुमार द्वारा मरचा चूड़ा को अंतरराष्ट्रीय पटल पर विख्यात कराने के उदेश्य से विगत चार-पांच महीनों से लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस हेतु प्रभारी पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, कृषकों, आदि के साथ लगातार बैठके की जाती रही है। मरचा धान का उत्पादन करने वाले कृषकों का उत्वाहवर्धन भी जिलाधिकारी द्वारा लगातार किया जाता रहा है। जिला प्रशासन के प्रयास के कारण ही आज मरचा चूड़ा को जी-आई टैग मिलने की प्रबल संभावना बनी हुयी है। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि दार्जिलिंग की चाय, बनारस की साड़ी, तिरूपति के लड्डू की भांति पश्चिम चम्पारण का मरचा चूड़ा देश-विदेशों में अपनी सुगंध और स्वाद बिखेरेगा। जी-आई टैग मिल जाने से कृषि क्षेत्र में पश्चिम चम्पारण जिले की एक और बेहतर उपलब्धि होगी। इससे जुड़े किसानों का जीवनस्तर बढ़ेगा तथा कई नये उर्जावान किसान भी इस क्षेत्र से जुड़कर जिल का नाम रौशन करेंगे। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी मरचा चूड़ा के बाद आनंदी भूजा, जर्दा आम को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने को हरसंभव प्रयास करें। कृषि क्षेत्र में जिले की विशिष्ट पहचान बनाने के लिए सभी अधिकारियों को समन्वित प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि मरचा चूड़ा, आनंदी भूजा, जर्दा आम में दिलचस्पी रखने वाले इच्छुक व्यक्तियों को प्रोत्साहित करते हुए उनके अनुभवों को संकलित कर विशेष कार्य योजना तैयार करें ताकि बेहतर तरीके से पश्चिम चम्पारण जिले के कृषि उत्पादों को देश-विदेश के फलक पर विशिष्ट पहचान दिलायी जा सके। वरीय उप समाहर्ता, श्री राजकुमार सिन्हा द्वारा बताया गया कि मरचा चूड़ा को जी-आई टैग दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है, शीघ्र ही जी-आई टैग मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जिले में मरचा धान की खेती लगभग एक हजार एकड़ में होती है। इसकी खेती नरकटियागंज, गौनाहा, सिकटा एवं मैनाटांड़ प्रखंडों में अधिकांशतः की जाती है। मरचा धान की खेती के लिए पश्चिम चम्पारण जिले की मिट्टी एवं जलवायु बेहद ही अनुकूल है। ऐसी अनुकूल जलवायु अन्य जगह संभवतः नहीं है। इसी कारण दूसरी जगह पर खेती में यहां की तरह बेहतरीन स्वाद और सुगंध नहीं होता है।
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