पंचकूला, 18 अक्तूबर, हरियाणा में पंचकूला की केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की विशेष अदालत ने सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधन समिति के सदस्य रणजीत सिंह हत्याकांड के लगभग 19 साल पुराने मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह समेत पांच दोषियों को आज उम्र कैद की सज़ा सुनाई। सीबीआई के विशेष जज डा. सुशील गर्ग ने कैद की सज़ा के साथ डेरा प्रमुख को 31 लाख रूपये तथा चार अन्य दोषियों को 50-50 हजार रूपये जुर्माना भी सुनाया। अदालत में डेरा प्रमुख को वीडियाे कांफ्रेंसिंग से जबकि चार अन्य दोषियों कृष्ण कुमार, अवतार, जसवीर और सबदिल को व्यक्तिगत रूप से पेश किया गया। इस दौरान अदालत परिसर और बाहर तथा शहर के अन्य संवेदनशीन क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू करने के साथ ही कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के तहत पुलिस और अन्य सुरक्षा बल तैनात किये गये थे। इससे पहले इसी अदालत ने पांचों को गत आठ अक्तूबर को इस मामले में दोषी करार देते हुये सज़ा सुनाने के लिये 12 अक्तूबर की तारीख निर्धारित की थी लेकिन उस दिन डेरा प्रमुख की ओर से उनके और डेरा ओर से किये जा रहे सामाजिक कार्यों का उल्लेख करते हुये एक अर्जी दाखिल कर सज़ा में रहम की अपील की गई थी। इस अदालत ने इस पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सजा को लेकर फैसला 18 अक्तूबर तक स्थगित कर दिया था। इस मामले में एक अन्य आरोपी इंद्रसेन की मौत हो चुकी है। अदालत ने इससे पहले गत 12 अगस्त को इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुये सजा पर फैसला सुनाने के लिये 26 अगस्त की तारीख निर्धारित की थी लेकिन इसे बाद में आठ अक्तूबर तक स्थगित कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि डेरा प्रमुख को इससे पहले डेरा की साध्वी यौन शोषण मामले में 25 अगस्त 2017 को दोषी करार देते हुये 20 साल की कैदी सज़ा सुनाई गई थी। इसके अलावा उन्हें सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में भी उम्र कैद की सज़ा सुनाई जा चुकी है। ये दोनों सजाएं उन्हें सीबीआई अदालत के विशेष जगदीप सिंह ने सुनाईं थीं। ये दोनों सजाएं उन्हें सीबीआई अदालत के विशेष जज जगदीप सिंह ने सुनाईं थीं। श्री जगदीप सिंह का अब इस अदालत से अब तबादला हो चुका है। उनकी जगह चंडीगढ़ से सीबीआई के विशेष जज रहे डा. सुशील गर्ग को पंचकूला सीबीआई विशेष अदालत में नियुक्त किया गया था। वहीं डेरा प्रमुख इन दोनों सजाओं में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं। डेरा की प्रबंधन समिति के सदस्य रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को हत्या की गई थी। रणजीत सिंह पर संदेह था कि साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र उसने अपनी बहन से ही लिखवाया था। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इस हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की थी। बाद में सीबीआई ने मामले की जांच करने के बाद आरोपियों पर मामला दर्ज किया था। इस मामले में वर्ष 2007 में सीबीआई की विशेष अदालत में आरोपियों पर आरोप तय किये गये थे। इस मामले में 250 पेशी और 61 लोगों की गवाहियां और बयान हुये। इस हत्याकांड में तीन मुख्य गवाह थे जिसमें से दो चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और जोगिंद्र सिंह हैं। तीसरा गवाह डेरा प्रमुख का ड्राइवर खट्टा सिंह था। हालांकि बाद में वह अदालत में अपने बयान से मुकर गया था। कई वर्षों के बाद उसने फिर से अदालत में पेश होकर अपनी गवाही दी थी।
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