भोपाल : शासकीय नर्मदा महाविद्यालय होशंगाबाद के हिंदी विभाग द्वारा विश्व बैंक परियोजना के अंतर्गत रचनात्मक लेखन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें निबंध, कविता, कहानी आदि विधाओं में रचनात्मक रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया गया। कार्यशाला का उद्देश्य प्रस्तुत करते हुए डॉ. एच एस द्विवेदी ने बताया कि लेखन कैसे किया जाता है स्वयं के विचारों को लिपिबद्ध करने के बाद एक नई रचना निर्मित होने का भाव उत्पन्न होना चाहिए । कार्यक्रम का प्रारंभ प्राचार्य डॉ ओ एन चौबे के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि स्व अभिव्यक्ति जो लिखकर की जाए वह ज्यादा सशक्त और प्रभावशाली होती है। मुख्य वक्ता डॉ. संतोष व्यास ने अपने वक्तव्य में बताया कि संवेदनशीलता, भाषा तथा उच्चारण की शुद्धता, लेखन के लिए आवश्यक है। शरीर मन बुद्धि के संतुलन से लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। घटनाओं को बोलने की बजाय लिखकर अभिव्यक्त करने से ही साहित्य लेखन का बीज प्रस्फुटित होता है। डॉ. बी.सी. जोशी ने अपने संबोधन में बताया कि इतिहास गवाह है कि साहित्य से क्रांति होती रही है और प्रभावी लेखन समाज की दिशा तय करता आ रहा है। डॉ. हंसा व्यास ने अपने उदबोधन में कलम को सबसे बड़ी ताकत बताया। श्रीमती आशा ठाकुर, डॉ अर्पणा श्रीवास्तव, डॉ कल्पना विश्वास, छात्रा वैशाली प्रधान ने भी अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. के.जी. मिश्र ने छात्र छात्राओं को लेखन के प्रति उनकी जिम्मेदारी का निर्वाह करने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम में विनीता अशवारे ,जुगल किशोर ,भवानी अहिरवार सिद्धार्थ दीवान ,अंशुल मिश्रा ,प्रीति सिंह सहित अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। संचालन डॉ. अंजना यादव तथा आभार श्रीमती प्रीति कौशिक ने किया।
गुरुवार, 25 नवंबर 2021
शरीर मन बुद्धि के संतुलन से लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है : डॉ. व्यास
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