- · ध्रुवस्वामिनी नाटक जयशंकर प्रसाद की अंतिम एवं अत्यंत महत्वपूर्ण नाट्यकृति है।
- · ध्रुवस्वामिनी एक नारी प्रधान नाटक है।
- · प्रियंका शर्मा के निर्देशन में इस श्रेष्ठ नाट्य-कृति को आवाज़ दी है सिली सोल्स के अभिनेताओं ने और यह नाटक स्टोरीटेल ऐप पर हिंदी में बतौर ऑडियो उपलब्थ है।
नई दिल्ली: ध्रुवस्वामिनी जयशंकर प्रसाद की अंतिम और श्रेष्ठ नाट्य-कृति है। इसका कथानक गुप्तकाल से सम्बद्ध और शोध द्वारा इतिहास सम्मत है। यह नाटक इतिहास की प्राचीनतमा में वर्तमान काल की समस्या को प्रस्तुत करता है। स्टोरीटेल के कैटेलॉग में नाटक की केटेगरी में ध्रुवस्वामिनी अब ऑडियोबुक में रंगप्रेमियों के लिए उपलब्ध है, हाल ही में स्टोरीटेल ने अपने प्लेटफार्म में कई उच्च साहित्यिक नाटकीय कला को उपलब्ध किया है।ऑडियो में इसे सुनने का अहसास अतुलनीय है,प्रियंका शर्मा के निर्देशन में इस श्रेष्ठ नाट्य-कृति को आवाज़ दी है सिली सोल्स के अभिनेताओं ने।
ध्रुवस्वामिनी के माध्यम से जयशंकर प्रसाद ने इस तरीके संदर्भों को उठाया है। उनकी शिक्षा को उस पर हो रहे अत्याचार आदि को उजागर करते हुए उससे मुक्ति का मार्ग भी दिखाने का प्रयास किया है। तत्कालीन समाज में स्त्रियों की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। उन्हें भोग विलास की वस्तु समझा जाता था जिसका विरोध ध्रुवस्वामिनी ने इस नाटक में किया। निर्देशक प्रियंका शर्मा कहती हैं, “ध्रुवस्वामिनी सिली सोल्स और हम बार बार करते रहते है , और क्योंकि ये नाटक पहले किया हुआ है इसलिए इस नाटक को विसुअलाइज़ करने में कोई ख़ास दिक्कत नही हुई। सब कुछ दिमाग मे पहले से तय था, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि मंच पर नाटक का रूप अलग था और जब उसे ऑडियोबुक के लिए तैयार करना था तो हमने सब कुछ ऑडियो में बदलना पड़ा। हमने दृश्य को अब सिर्फ ध्वनी के रूप में देखना शुरू किया,जिसे सोचने में भी वक़्त लग रहा था। और कुछ दृश्य ऐसे थे जैसे शकराज के पास जब ध्रुवस्वामिनी और चंद्रगुप्त जाते है, वो पूरा दृश्य ऐसा है जिसमे देखकर काफी कुछ समझ आता है की किस तरह वो दोनों एक दूसरे को इशारे करते हैं, शकराज जिस तरह उन्हें देखता है और उसे धूमकेतु से भय होने लगता है। एक और दृश्य है जिसमे रामगुप्त चन्द्रगुप्त पर पीछे से वार करता है,ये सब ऑडियो में दिखाना मुश्किल है इसके लिए हमने हर जगह कुछ कुछ ध्वनियां जोड़ दी है जिससे सुनने वाले के मन मे चित्र बनने में मुश्किल न हो”।
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