पटना 16 नवंबर, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने सीतामढ़ी के पार्टी संयोजक कामरेड साधुशरण दास के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. माले राज्य सचिव सहित सभी वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. पार्टी की केंद्रीय कमिटी की सदस्य व सीतामढ़ी की प्रभारी मीना तिवारी उनके शव के साथ पीएमसीएच से उनके गांव तक साथ रहीं और अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया. 15 नवम्बर 21 की सुबह 4.30 बजे पटना पीएमसीएच में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. विगत 6 नवंबर को साधु जी को ब्रेन हेमरेज के कारण लकवा का अटैक हुआ था. 12 नवंबर को दूसरा अटैक हुआ और वे बेहोश हो गए. सीटी स्कैन के बाद हुए एमआरआई में पता चला कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर था और ट्यूमर के भीतर हेमरेज हो रहा था. लंबे समय से उन्हें सर दर्द की शिकायत थी, लेकिन ब्रेन ट्यूमर का पता नहीं चल सका। 56 वर्षीय साधु जी सीतामढ़ी के चोरौत प्रखंड के चोरौत गांव के निवासी थे. यहां 80 के दशक में चोरौत महंथ के सामंती जोर-जुल्म खिलाफ और मठ की 2200 एकड़ जमीन को लेकर मजदूरों-गरीबों की बड़ी लड़ाई कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में हुई थी. 1981 में शुरू हुई इस लड़ाई में साधु जी के पिता जी भी शामिल थे. साधु जी उसी दौर से, छोटी उम्र से ही लाल झंडा के आंदोलन से जुड़ गए थे. भूमि आंदोलन के दौरान सामंती और पुलिस दमन से बचने के लिए का. साधुशरण के पिता और छोटे भाई असम चले गए और इनके पिता वहीं मजदूरी करने लगे. उस समय साधुशरण दास सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में इंटरमीडिएट के छात्र थे. विज्ञान के छात्र साधु जी पढ़ने में काफी अच्छे थे और इंटरमीडिएट की परीक्षा में प्रथम दर्जा आया था।
स्नातक की पढ़ाई करते हुए वे आंदोलन में अधिक सक्रिय हो गए. इस दौरान जीवनयापन के लिए उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. कुछ समय तक उन्होंने एक वित्तरहित कॉलेज में बतौर शिक्षक भी काम किया था। कम्युनिस्ट आदर्श से ओतप्रोत नौजवान साधु शरण गरीबों-मजदूरों को संगठित करने में सक्रिय हो गए थे, लेकिन सीपीआई की नीतियों की खामियां इन्हें महसूस होने लगी थी. स्थानीय स्तर पर इस पार्टी के भीतर आर्थिक भ्रष्टाचार और इस पर ऊपर की कमिटी की उदासीनता को देखकर इनका सीपीआई से मोहभंग हो गया और 1990 में चोरौत के कुछ नौजवानों के साथ साधु जी इंडियन पीपुल्स फ्रंट के साथ जुड़ गए. उसके बाद पार्टी के कामकाज को आगे बढ़ाने में जुट गए. लगभग 31 वर्षों से वे सीतामढी के विभिन्न प्रखंडों में पार्टी कामकाज का विस्तार करने और आंदोलनों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाते रहे हैं. वर्तमान में वे पार्टी जिला संयोजक थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें सीतमढ़ी के बथनाहा विधानसभा क्षेत्र से खड़ा भी किया था. वे बहुत ही सीधा-सरल और काफी मिलनसार स्वभाव के थे. वे आजीवन पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता और कम्युनिस्ट भावना से ओतप्रोत रहे हैं. गरीबी और कई तरह की पारिवारिक समस्या और अभाव से जूझते हुए वे पार्टी की जिम्मेवारी व जनता की सेवा में अनवरत जुटे रहे। उनके गुजर जाने से उनके परिवार (विकलांग पत्नी और दो छोटे बच्चे) के सामने बड़ा संकट आ गया है। साथ ही, सीतामढ़ी में पार्टी के सामने भी मुश्किल आ खड़ी हुई है।. उनके पैतृक गांव चोरौत में ही उन्हें अंतिम विदाई दी गई. उनकी अंतिम यात्रा में सीतामढ़ी प्रभारी का. मीना तिवारी, मुजफ्फरपुर जिला सचिव का. कृष्ण मोहन, खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के कार्यकारी राज्य सचिव का. शत्रुघ्न सहनी सहित जिला के अनेक नेताओं ने भाग लिया. पार्टी राज्य कमिटी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देती है और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें