- सरकार,समाज और पुलिस बाल विवाह को रोकने में अक्षम
पटना. वह बाल विवाही लड़की मसौढ़ी पटना के रहने वाली है. उसका दीघा मुसहरी में रहने वाले लड़का से बाल विवाह हुआ है. यहां पर पुलिस आंतक के कारण घर-द्वार छोड़ मुसहर रोड पर सोने को मजबूर हैं.मजबूरी में बाल विवाही भी सड़क पर ठौर जमा ली हैं. इस बाल विवाही को देखकर लगता है कि सरकार,समाज और पुलिस बाल विवाह को रोकने में अक्षम हैं.भारत देश गुलाम रहते वक्त लर्ष 1927 में ब्रिटिश सरकार को बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाना पड़ा.जो बदस्तूर 94 साल में भी कानून बनाने की मजबूरी है. बताते चले कि शिक्षाविद, न्यायाधीश, राजनेता एवं समाज सुधारक हरबिलास शारदा ने वर्ष 1927 में ब्रिटिश सरकार को बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाकर दिया.यह कानून था, बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम, 1929 (Child Marriage Restraint Act 1929) जो 29 सितंबर 1929 को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कॉउंसिल ऑफ इंडिया में पारित हुआ.इस कानून का माखौल उड़ाया जा रहा है.पटना जिले के मसौढ़ी मुसहरी की लड़की और दीघा मुसहरी का लड़का से बाल विवाह हुआ. बता दे कि समाज सुधारक हरबिलास शारदा ने वर्ष 1927 में ब्रिटिश सरकार को बाल विवाह पर अंकुश लगाने का कानून में लड़कियों के विवाह की आयु बढ़ाकर 14 वर्ष कर दी गई, वहीं लड़कों की आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई.बाद में इस कानून में संशोधन कर लड़कियों की विवाह की आयु 18 वर्ष एवं लड़कों के विवाह की आयु 21 वर्ष कर दी गई. इस कानून को ‘शारदा अधिनियम’ (Sharda Act) के नाम से जाना जाता है. यह कानून 1 अप्रैल 1930 को देश में लागू हुआ और यह केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लिए था. हालांकि यह एक समाज सुधारक बिल था, लेकिन सभी धर्म अनुयायियों ने इसका समर्थन किया.साल 2006 में यूपीए सरकार ने शारदा एक्ट को बदल कर नया एक्ट पास किया. इसका नाम बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 रखा गया.इस कानून की नींव शारदा एक्ट से ही पड़ी है. इस बीच सरकार ने शुक्रवार को संसद में यह घोषणा की कि लड़कियों के विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु को 18 साल से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 साल करने संबंधी विधेयक (Bill to raise the marriage age of girls to 21 years ) को अगले सप्ताह लोकसभा में पेश किया जाएग. यह नया कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी.
लोकसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल (Minister of State for Parliamentary Affairs Arjun Ram Meghwal ) ने अगले सप्ताह सदन में होने वाले सरकारी कामकाज की जानकारी देते हुए यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि बाल विवाह (रोकथाम) संशोधन विधेयक को अगले सप्ताह पेश करने के बाद चर्चा कर पारित किया जाएगा. राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने इस आशय की जानकारी देते हुए कहा कि बाल विवाह (रोकथाम) संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करने और पारित करने के बाद इसे उच्च सदन में चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा जाएगा. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बाल विवाह (रोकथाम) अधिनियम 2006 में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस संशोधन के तहत लड़कियों के विवाह की न्यूनतम कानूनी आयु को 18 साल से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 साल करने का प्रावधान है. मौजूदा कानूनी प्रावधान के तहत लड़कों के विवाह लिए न्यूनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित है. उल्लेखनीय है कि संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलने का कार्यक्रम है और आज के बाद कुल चार बैठक निर्धारित हैं. मौजूदा कानूनी प्रावधान के तहत लड़कों के विवाह लिए न्यूनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित है। मुरलीधरन ने उच्च सदन में कहा कि अगले सप्ताह उच्च सदन में स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक सहित विभिन्न विधेयकों को चर्चा के बाद पारित करने और अनुदान की अनुपूरक मांगों को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटाने का प्रस्ताव है। उल्लेखनीय है कि संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलने का कार्यक्रम है और अब कुल चार बैठक होनी शेष हैं. लड़कियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बदलाव 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी.इसके बाद 2006 में बाल विवाह रोकथाम कानून लाया गया था। UNICEF के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 18 से 21 साल के बीच शादी करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है.
सभी धर्मो में अभी क्या है शादी की उम्र?
इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1936, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937, हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और द हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट, 1956, सभी के अनुसार शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 वर्ष होनी चाहिए.इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है.फिलहाल बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है, जिसके मुताबिक 21 और 18 से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा.ऐसा करने और करवाने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है. हालांकि, शादी से संबंधित विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के अब तक अपने स्वयं के मानक थे. उदाहरण के तौर पर हिंदू विवाह अधिनियम ने लड़कियों के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष की शादी की आयु तय की है, जबकि मुसलमानों के लिए व्यक्तिगत कानून ने लड़कियों की शादी को 15 वर्ष की अनुमति दी है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि संशोधन विधेयक जल्द ही संसद में लाया जाएगा और इसे ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय करार दिया, जिसमें महिलाओं और लड़कियों के जीवन को बदलने की क्षमता है, और यह लैंगिक समानता की दिशा में एक कदम आगे है.
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