नयी दिल्ली, 24 दिसंबर, संसद की एक समिति अगले महीने बिहार और तेलंगाना के राज्य निर्वाचन आयोगों के अधिकारियों को विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग प्रदर्शित करने के लिए आमंत्रित करेगी। इन प्रौद्योगिकियों में स्थानीय निकाय चुनावों में मतदाताओं को सत्यापित करने वाली बायोमेट्रिक प्रणाली शामिल है। विधि और कार्मिक विभाग संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी ने कहा कि समिति प्रस्तुतिकरण के लिए दोनों राज्यों के निर्वाचन आयोगों के अधिकारियों को अगले साल जनवरी में किसी समय आमंत्रित करेगी।सुशील मोदी ने कहा, ‘‘सबसे पहले बिहार ने पंचायत चुनावों में मतदाताओं का सत्यापन करने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग किया था। मतदान प्रतिशत कम (65 प्रतिशत) हो गया। कारण यह था कि केवल सही मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।’’ उन्होंने कहा कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने एक अन्य तकनीक के साथ भी प्रयोग किया जिसमें अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर दिखाये गये परिणामों को सीसीटीवी कैमरों में कैद किया गया और सभी नतीजों को मिलाकर केंद्रीय पटल पर भेज दिया गया। सुशील मोदी ने बताया, ‘‘अभी क्या होता है कि ईवीएम पर दिखाये गये परिणाम कागज पर अंकित किये जाते हैं और केंद्रीय पटल पर भेजे जाते हैं जहां उन्हें कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर जोड़ा जाता है। इसमें किसी के द्वारा आंकड़ों में हेरफेर की आशंका होती है। बिहार में जो प्रणाली इस्तेमाल की गयी, उसमें सबकुछ तेज तथा स्वचालित था।’’ उन्होंने कहा कि अब तक पांच राज्यों के निर्वाचन आयुक्तों ने बिहार जाकर सीसीटीवी आधारित गणना प्रणाली को समझा। तेलंगाना के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित ‘मॉक मतदान’ का जिक्र करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि इस तकनीक को प्रस्तुत करने को कहा जाएगा जिसमें कुछ मतदाताओं के समूह ने खम्मम जिले में स्मार्ट फोन से मतदान किया।
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021
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बिहार, तेलंगाना के निर्वाचन आयोग चुनावों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर प्रस्तुतिकरण देंगे
बिहार, तेलंगाना के निर्वाचन आयोग चुनावों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर प्रस्तुतिकरण देंगे
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