दुसैया. पश्चिम चम्पारण जिले के बेतिया धर्मप्रांत के बिशप पीटर सेबेस्टियन गोवियस के नेतृत्व दुसैया में स्थित ग्वादालूपे मां मरियम के आदर में निकली यात्रा का नेतृत्व कर रहे थे.यात्रा बड़ा गिरजाघर से निकलकर गांव का परिक्रमा कर छोटा गिरजाघर में आएं.यहीं पर ग्वादालूपे मां मरियम की प्रतिमा है.यह दर्शनीय स्थान है.बाहर से आने वाले भक्तगण मां का दर्शन करके ही जाते हैं.दर्शनीय स्थल पर शालू रेमी,मनीषा संजय और मुस्कान ने मिलकर रंगोली बनाएं.जो नयना विराम था.नौ फ्लावर गर्ल्स थीं जो मां मरियम की राह में फूल बिखेर रही थीं.सुषमा रेमी और बेर्नादेक्ट विक्टर की तरह अन्य लोगों ने डोली में सवार मां मरियम को लेकर चल रहे थे.इस अवसर पर प्रीति भोज दिया गया. 12 दिसंबर 1531 ई.(490 साल )को माता मरियम ने जुआन दियेगो को चौथी बार दर्शन देकर तेपेयाक घाटी पर जाने का आदेश दिया.तेपेयाक घाटी एक मरुभूमि थी और उस मरुभूमि में कस्तिलियन फूल, जो सिर्फ बगान में ही उगते है, समेटने को कहा.वहाँ पहुँचने पर माता मरियम ने खुद अपने हाथों में फूल समेटकर, मगवे पौदे के धागे से बने जुआन दियेगो के अंगवस्त्र में रख दिये.ग्वादालूपे माँ मरियम के इस ठोस सबूत को लेकर जुआन दियेगो धर्माध्यक्ष जुमर्रागा के महल के लिए रवाना हुए.जैसे ही उन्होंने धर्माध्यक्ष के सामने अपना अंगवस्त्र खोला, सारे फूल धर्माध्यक्ष के चरणों पर बरसे और जुआन दियेगो के उस अंगवस्त्र पर अचानक एक चित्र दिखाई पड़ा जिसमें “नित्य कुंआरी, पवित्र मरिया, ईश्वर की माता” थीं. ग्वादालूपे माता मरियम का यह चित्र आज भी मेक्सिको शहर में स्थित ग्वादालूपे माँ मरियम को समर्पित महामंदिर में है.
रविवार, 12 दिसंबर 2021
बिहार : जन भागीदारी के कारण ग्वादालूपे मां मरियम का पर्व मना
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