- ज़िंदगी एक भ्रम है और इसके टूटे जाने तक इसे धोखा मत देना
- यह उपन्यास 17 दिसम्बर को स्टोरीटेल पर रिलीज़ हुआ है
नई दिल्ली: कालो थियु सै, पागल हुए हो?' - कथाकार किशोर चौधरी के संस्मरण है जहां वे किस्सागोई के तानेबाने में ही अपनी यादों को पन्नों पर दर्ज करते हैं, इसमें उनके बहुत ही मजेदार संस्मरण हैं। कालो थियु सै, पागल हुए हो उपन्यास ऑडियोबुक प्लेटफार्म स्टोरीटेल पर 17 दिसम्बर को रिलीज़ हुआ है और इस उपन्यास के ऑडियो रूप को ललित अग्रवाल ने आवाज दी है। जीवन के बिंबों से भरी संजीदा कहानियों और चुटकी भर शब्दों की तड़प भरी बेवजह की बातों से इतर यात्रा, संस्मरण और गप से बने लोकजीवन के रेखाचित्र। मौखी नंबर आठ, नरगासर, मुड़दा कोटड़ी, रेलवे मैदान, पनघट रोड, भड़भूँजे की भाड़, मोहन जी का सिनेमा, चाय की थड़ी, दल्लुजी कचौड़ी वालों की दुकान, फ़कीरों का कुआँ, लुहारों का वास जैसे बेहिसाब ठिकाने, जिनसे मिलकर अलसाए, ऊँघे बाड़मेर की जो सूरत बनती है, वही सब ये किताब है। कहानी नहीं है किंतु कहानी ही है। इस किताब में रेगिस्तान के छोटे से क़स्बे बाड़मेर से की गई दूर-नज़दीक की यात्राओँ, बिछड़े दोस्त की याद, बड़ी हस्तियों से की गई बेआवाज़ बातचीत, भांग और विज्ञान के अद्भुत मेल से बनी गप और वह सब, जो आधे जगे, आधे खोए रचे गए।ये ख़ास किताब पहली बार ऑडियो में उपलब्ध है। “ज़िंदगी एक भ्रम है और इसके टूटे जाने तक इसे धोखा मत देना” अमित का जीवन,उसके सरोकार,उसकी लिखावट,उसकी ख्वाहिशें और उन सबसे जूझता अमित। अमित को सुनकर बस अमित को जाना भर जा सकता है लेकिन वो महसूस करना किसी को इतनी बारीकी से,ये लेखक की खूबी है । कालो थियु सै, पागल हुए हो को स्टोरीटेल पर सुनने के इस लिंक पर जायें।
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