- · मुझे अपने शोध के लिए औपचारिक रूप से असाइलम में जाने की अनुमति नहीं थी। दमन सिंह ने प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित किताब फेस्टिवल में 'असाइलम' के पुस्तक विमोचन पर चर्चा में कहा कि असाइलम के लिए अनुमति मिलने में सालों लग सकते हैं।
- · दमन सिंह ने आगे कहा कि एक लेखक और शोधकर्ता के रूप में मैं अपने लिए चीजें देखना चाहती थी लेकिन मैं यह भी देखती हूं कि मानसिक अस्पताल सिर्फ कोई अस्पताल नहीं है। यह एक ऐसी जगह है जहां एकांतता और गोपनीयता बड़ा मुद्दा है। मानसिक स्वास्थ्य डॉक्टरों की कमी हैं और बहुत से लोगों को सही इलाज भी प्राप्त नही है।
- · असाइलम मानसिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को एक विहंगम दृश्य प्रदान करता है और एक सामान्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक, दार्शनिक, सरकारी और चिकित्सा जैसे सभी पहलुओं को शामिल करता है। पुस्तक पिछले 125 वर्षों में भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवा कैसे विकसित हुई, इसकी कहानी है।
- · "जब मन की विकृतियों की बात आती है, तो भारतीय उपमहाद्वीप में मनोगत, विश्वास और उपचार के पारंपरिक तरीकों की ओर मुड़ने की एक स्थायी संस्कृति है।" यह लेखिका दमन सिंह ने अपनी नई किताब असाइलम द बैटल फॉर मेंटल हेल्थकेयर इन इंडिया में कहा है।
नई दिल्ली, दिसंबर17,2021: प्रभा खेतान फाउंडेशन के किताब फेस्टिवल में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दर्शकों भरा हुआ था,जब लेखिका दमन सिंह की पुस्तक असाइलम का विमोचन किया गया। लेखिका दमन सिंह और अहसास वुमेन ऑफ़ अहमदाबाद प्रियांशी पटेल के साथ एक साक्षात्कार प्रारूप में एक मनोरम सत्र आयोजित किया था। पुस्तक के विमोचन के साथ –साथ प्रभा खेतान फाउंडेशन ने अपने यूट्यूब चैनल पर देशभर की जनता के लिए यह सत्र लाइव ऑनलाइन स्ट्रीम किया था। ज्ञानवर्धक सत्र की शुरुआत अर्चना डालमिया ने की। लेखिका दमन सिंह का अभिनन्दन प्रीति गिल ने किया। प्रीति गिल अहसास वुमेन ऑफ़ अमृतसर पेशेवर महिला हैं, जिन्होंने सत्र के बीच अपने विचार रखते हुए कहा कि "आज का सत्र दिलचस्प है और मैं उस डेटा के बारे में जानने की इच्छुक हूँ कि विभाजन और सांप्रदायिक संघर्ष के भयानक आघात के समय के लोगों पर क्या मानसिक प्रभाव डाला होगा और उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी। प्रियांशी पटेल के साथ एक दिलचस्प बातचीत के दौरान, दमन सिंह से पूछा गया कि मानसिक स्वास्थ्य पर एक किताब लिखने के लिए उनकी क्यों दिलचस्पी थी । जिस पर उन्होंने उत्तर दिया कि यह मनोविज्ञान में रुचि के रूप में शुरू हुआ और फिर समय के साथ यह मजबूत होता गया और लिखने का विचार बन गया। इस पुस्तक को लिखना कठिन था। और मेने इसे पूरा करने में 4 साल लगा दिए।
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