- नेपाल और श्रीलंका से मिथिला का है सांस्कृतिक संबंध : प्रो शशिनाथ झा
- भारत और श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंध की सेतु हैं मां सीता : श्रीलंका राजदूत
मुख्य वक्ता के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय के प्रो रामनाथ झा ने कहा कि मधुबनी केवल एक नगर और शहर का नाम ही नहीं, बल्कि एक संस्कर का प्रतीक है, जो सनातन है। मिथिला की संस्कृति और वैदिक सभ्यता में मधु को सत्य और धर्म के रूप में व्याख्यायित किया गया है। जहां ऐसे सत्य और धर्म व्यवहार में हों, वही मधुबनी है। इसलिए जब मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल में डॉ सविता झा खां ने आमंत्रित किया, तो इस बार खुद को आने से रोक नहीं पाया है। प्रो रामनाथ झा ने कहा कि पूरे विश्व को मिथिला ने ज्ञान की परंपरा दी है। मेरे लिए मिथिला से ताप्तर्य पान और मखाना से नहीं, बल्कि यहां की शास्त्रीय परंपरा से है। पद्मश्री डॉ उषाकिरण खान ने कहा कि सीता की धरती मिथिला को अपने ज्ञान पंरपरा और संस्कार पर गर्व है। हमें खुशी है कि हम एक बार फिर इस आयोजन के हिस्सेदार हैं। आयोजक सहित यहां आए तमाम विद्वान और कलाकार बधाई के पात्र हैं। दरभंगा सहित मिथिला के लोगों को अपने ज्ञान परंपरा को समझने का बेहतरीन अवसर मिला है। अपने संबोधन में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से युवाओं सहित आने वाले पीढ़ी में अपनी गौरवशाली संस्कृति और परंपरा में नवचेतना का संचार होता है। मिथिला की गौरवशाली परंपरा को एक नया आयाम मिलेगा। नगर विधायक संजय सरावगी ने इस प्रकार के आयोजन के लिए आयोजक को बधाई दी। विश्वद्यिलय के प्रांगण में मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल के साथ ही कई स्टॉल लगाए गए हैं। साहित्य अकादमी, भारतीय पुस्तक न्यास सहित कई प्रकाशनों ने अपनी पुस्तकों को बिक्री के लिए उपलब्ध किया हुआ है। मिथिला पेंटिंग, मिथिला की योग कला, लोक कला आदि से संबंधित स्टॉल भी हैं, जहां हर उम्र के लोग देखे जा रहे हैं।
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