नयी दिल्ली, 23 दिसंबर, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से संबंधित प्रारंभिक तथ्य गैरकानूनी तौर पर साझा करने के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है। विशेष अदालत (पीसी एक्ट) के न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने सीबीआई जांच के तौर-तरीकों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उस व्यक्ति की भूमिका की जांच शायद नहीं की जा रही है, जो मुख्य आरोपी हो सकता है। अदालत ने बुधवार को दिये अपने 11 पन्नों के आदेश में कहा, “ ऐसा लगता है कि सीबीआई जांच रुपी इस गाड़ी को बिना इंजन खींचने के लिए छोड़ दिया गया है।” न्यायाधीश अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि अवैध रूप से सीबीआई की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट साझा करने के आरोपों में अनिल देशमुख की भूमिका की समयबद्ध तरीके से जांच कर स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश करें। अदालत इस मामले में आगे की सुनवायी 22 जनवरी को करेगी। यह मामला महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री पर भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामलों की सीबीआई जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट आरोपी (अनिल देशमुख) से गुप्त तरीके से साझा करने के आरोपों से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने इस मामले में 31 अगस्त को 2021 को भारतीय दंड संहिता की धारा- 120-बी, 409 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून-1988 (2018 में संशोधित) की धाराएं सात एवं आठ के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। भ्रष्टाचार की जांच से जुड़े सीबीआई के उपनिरीक्षक अभिषेक तिवारी, अनिल देशमुख के एक वकील आनंद दिलीप डागा और वैभव गजेंद्र तुमने एवं अन्य पहले से ही नामजद आरोपियों में शामिल हैं।
गुरुवार, 23 दिसंबर 2021
देशमुख की भूमिका की जांच के आदेश
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