- · पुस्तक का विमोचन बैजयंत 'जय' पांडा और संजीव सान्याल ने किया। सत्र की शुरुआत अनंत माला पोतदार द्वारा उद्घाटन भाषण के साथ की गई और पैनल को एक अहसास वुमेन वंदना सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। और इस सत्र को शाजिया इल्मी द्वारा संचालित किया गया था।
- · पुस्तक इस कहानी के बारे में बताती है कि कैसे हरियाणा ने सत्रहवीं सदी से इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में खुद को बदल लिया,और यहबताती है कैसे यह राज्य मॉडर्न हरियाणा में तब्दील हुआ । हरियाणा राज्य की अर्थव्यवस्था, राजनीति, महत्वपूर्ण व्यक्ति और अन्य विषयों पर चर्चा की गयी।
- · सप्ताह भर चले इस किताब फेस्टिवल में राजनीति, इतिहास, धर्म और कविता जैसे विषयों की विस्तृत श्रृंखला की 12 पुस्तकों का विमोचन किया गया था।
नई दिल्ली, दिसंबर 18,2021: प्रभा खेतान फाउंडेशन ने लेखक अर्जुन सिंह कादियान की पुस्तक 'लैंड्स ऑफ द गॉड' के विमोचन के साथ किताब फेस्टिवल का इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में समापन किया। यह अर्जुन सिंह की पहली किताब है और इसका विमोचन बैजयंत पांडा और संजीव सान्याल ने किया। मधुर संगीत और कुछ प्रतिष्ठित अतिथियों के बीच सोमवार, 13 दिसंबर को किताब फेस्टिवल शुरू हुआ था और शुक्रवार, 17 दिसंबर को संपन्न हुआ, आखिरी दिन रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए हरियाणा राज्य के इतिहास पर आधारित किताब आकर्षण का केंद्र बनी रही । महोत्सव का अंतिम सत्र अनंतमाला पोद्दार द्वारा शुरु किया गया और नीलिमा डालमिया द्वारा संपन्न किया गया। चर्चा के पैनल में लेखक अर्जुन सिंह, बैजयंत 'जय' पांडा, संजीव सान्याल और शाजिया इल्मी शामिल थे, मंच पर उन्हें वंदना सिंह, अहसास वुमेन द्वारा सम्मानित किया गया। पैनल चर्चा के दौरान, संचालक साजिया इल्मी ने सिंह से पूछा, "क्या आप इस तथ्य को समझते हैं कि भारतीय इतिहास का पाठ्यक्रम बहुत अलग रहा होगा और इस बारे में बात नहीं की गई है?" जिस पर अर्जुन सिंह ने जवाब दिया कि “इतिहास कैसे लिखी जाती है और कैसे इतिहास हम सभी को स्कूलों और कॉलेजों के माध्यम से पढ़ाया जाता है अब इसमें एक उल्लेखनीय बदलाव की जरूरत है। हमें अपने इतिहास को और अधिक संदर्भ में लाने और इसे और अधिक संबंधित बनाने की आवश्यकता है।"
साजिया इल्मी ने संजीव सान्याल से पूछा था कि "आप क्या सोचते हैं जब हम मुगल सम्राटों के बारे में बात करते हैं कि उदार अकबर और नशे में धुत जहांगीर और एक बहुत ही कट्टर औरंगजेब के बीच अंतर करने की आवश्यकता है, बजाय इसके कि उन्हें मुगल बादशाह कहा जाए। जिस पर सानियाल ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, "एक लेखक के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप जो कुछ भी कहते हैं उसे ठीक से संदर्भित किया जाना चाहिए और क्रॉस-रेफरेंस के लिए विश्वसनीय रिकॉर्ड द्वारा समर्थित होना चाहिए। मुझे समझ में नहीं आता कि आप इतिहासकारों से 500 साल पहले हुई किसी बात पर सहमत होने की उम्मीद क्यों करते हैं, जब आपको सिर्फ टेलीविजन पर दिखाना होता है कि कल जो हुआ उस पर कोई भी सहमत नहीं है। चर्चा इतिहास और किताब के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रही। प्रभा खेतान फाउंडेशन के किताब फेस्टिवल के पहले वर्ष की शुरुआत इस वादे के साथ की गई थी कि हर किसी को अपने काम को प्रस्तुत और व्यक्त करने के लिए पर्याप्त जगह मिले। पांच दिवसीय उत्सव में राजनीति, इतिहास, धर्म, कानून, फोटोग्राफी, अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू कविता जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर पैनल चर्चा और पुस्तक लॉन्च की मेजबानी की गई। इस साहित्यक फेस्टिवल ने कई लेखकों और प्रकाशनों को अपना काम प्रस्तुत करने के लिए एक मंच प्रदान किया। यह किताब फेस्टिवल कुछ रोमांचक नए लेखकों जैसे अर्जुन सिंह और सुदीप्ति के लिए भी एक मंच बना जो इन नए लेखकों के लिए यादगार क्षण थे। इस फेस्टिवल मे विचारोत्तेजक, प्रेरणादायक, पेचीदा और कभी-कभी उग्र और उत्तेजक पैनल चर्चाएँ भी कीं जो सूचनात्मक और शिक्षाप्रद थीं। इस उत्सव में कुछ विशिष्ट अतिथियों जैसे जयराम रमेश, एच.डी. देवेगौड़ा, अमिताभ कांत, विक्रम संपत, रघु राय, संजीव सान्याल, आदि ने भी सिरकत की। इसके अलावा प्रख्यात फोटोग्राफर रघु राय ने फोटोग्राफी के बारे में अपने अनुभव साझा किये, लेखिका क्षमा कौल ने कश्मीरी नरसंहार के बारे में एक पैनल चर्चा में भाग लिया, लेखिका दमन सिंह की किताब भी विमोचित हुई,जिसमें मानसिक बीमारी के बारे में कुछ सूक्ष्म अध्ययनों और आंकड़ों पर प्रकाश डाला था। नए लेखक अर्जुन सिंह हरियाणा राज्य के बारे में कुछ गौरवशाली इतिहास और तथ्यों को प्रकाश में लाये। सभी वार्तालाप और लोकार्पण समारोह देशभर की जनता के देखने के लिए प्रभा खेतान फाउंडेशन के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं।
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