नयी दिल्ली, 09 दिसंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी विकास का लोकतांत्रिक व्यवस्था के सशक्तीकरण के लिए उपयोग करने पर बल दिया है। श्री मोदी ने गुरूवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन की अध्यक्षता में लोकतंत्र पर शिखर सम्मेलन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों की सरकारों, सिविल सोसाइटी और निजी क्षेत्र के नेताओं ने भाग लिया। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते भारत हमेशा से अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ अपने अनुभवों को साझा करता आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने श्री मोदी को सम्मेलन के मुख्य सत्र में शामिल होने का निमंत्रण दिया था जिसकी अध्यक्षता स्वयं श्री बिडेन ने की। प्रचार माध्यमों के लिए प्रतिबंधित इस सत्र में भारत सहित 12 चुनींदा देश शामिल हुए। दूसरे सत्र की मेजबानी यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सूला वोन डेर लियेन ने की। सूत्रों के अनुसार श्री मोदी ने आज अपने वक्तव्य में कहा कि आज से 75 वर्ष पहले भारत की संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। उन्होंने भारत के सभ्यतागत मूल्यों को रेखांकित किया जिनमें लोकतंत्र का मूल स्रोत निहित है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था के प्रति सम्मान और बहुलतावादी मूल्य लोकतांत्रिक भावना भारतीयों के दिलो-दिमाग में बसी हुई है। भारतीय प्रवासी उन्हीं भावनाओं के साथ उनके निवास वाले देशों की आर्थिक तरक्की एवं सामाजिक सौहार्द्र में योगदान दे रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को उनके संविधान में निहित मूल्यों पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता, उत्तरदायित्व, भागीदारी और सुधार, भारतीय लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक शासन भी लोकतांत्रिक मूल्यों से दिशानिर्देशित होना चाहिए तथा चूंकि तकनीक का लोकतंत्र पर अच्छा एवं बुरा दोनों प्रकार का प्रभाव होता है, इसलिए तकनीक संबंधी कंपनियों को खुले लोकतांत्रिक समाज के लिए योगदान देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री सम्मेलन के कल के सत्र में भारता का राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे जिसका सजीव प्रसारण किया जाएगा।
शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हो तकनीक का इस्तेमाल : मोदी
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