नयी दिल्ली, 10 जनवरी, दिल्ली की एक अदालत ने दंगे के एक मामले में चार लोगों को बरी करते हुए कहा कि दंगाइयों की पहचान के पहलू पर अभियोजन पक्ष के दो गवाहों- एक कांस्टेबल और एक हैड कांस्टेबल की गवाही पर किसी तरह का भरोसा करने में वह ‘पूरी तरह अनिच्छुक’ महसूस कर रही है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में 26 फरवरी, 2020 के दंगों के दौरान भागीरथी विहार इलाके में एक घर और एक दुकान में आग लगाने, लूटपाट और तोड़फोड़ करने से संबंधित मामले में दिनेश यादव, टिंकू, साहिल और संदीप को बरी कर दिया। अफजाल सैफी और शोएब की दो शिकायतों के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सैफी ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि एक दंगाई भीड़ उसके घर में घुस आई थी जिसने तोड़फोड़ की, लूटपाट की और आग लगा दी। शोएब ने भी इसी तरह की शिकायत दाखिल कर अपनी दुकान में चोरी होने का आरोप लगाया था। दोनों शिकायतों को जोड़ दिया गया। भट्ट ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों की प्रकृति के मद्देनजर आरोपियों की पहचान ऐसे दंगाइयों के रूप में करना बहुत संशयपूर्ण हो जाता है जिन्होंने अभियोजन पक्ष के गवाह 1 (सैफी) के घर पर लूटपाट और आगजनी की हो। यह अदालत आरोपियों की दंगाइयों के रूप में पहचान के पहलू पर अभियोजन गवाह 8 और 12 की गवाही पर भरोसा करने में पूरी तरह अनिच्छुक लगती है।’’ इस फैसले में अभियोजन पक्ष के गवाह 8 और 12 से आशय कांस्टेबल और हैड कांस्टेबल से है।
सोमवार, 10 जनवरी 2022
दिल्ली दंगे में अदालत ने चार लोगों को बरी किया
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