इस दरम्यान अमृतलाल पटेल वाडी कार्यक्रम के माध्यम से वागधारा संस्था से संपर्क में आए और सामुदायिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने लगे ! और फिर वागधरा से समय समय पर तकनीक ज्ञान प्रशिक्षण जैसे कि वाडी़ की स्थापना, वाडी में पौधरोपण, फलदार पौधो में दूरी, वाडी़ की रूपरेखा बनाना, वर्गाकार वा़डी व्यावस्था ,गड्ढे भरना, सिचांई के तरीके व पानी की बचत, वाडी़ में जैविक तरीको को कैसे अपनाना और नवाचार में सहभागी सामिल होते उन्होने 800 परीवार के खेतो में आवला, जामून, बेर, पपिता, सीताफल, नींबू, अमरूद, फलदार पौधो की वाडी लगवाई ! 32,000 फलदार और 80 ,000 अन्य वानिकी पौधे कृषको के खेतो पर लगवाए! और आज इन वाडी़यो से किसानों को 20,000/-रु से 25,000/- रूपये प्रति वर्ष आमदनी हो रही हैं! और अपने कार्य से जनजातिय परीवारो मे उन्नत वाडी़ विकास को गती प्रदान की एव इन परीवारो की सतत आजीविका हेतू महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ! श्री अमृतलालजी ने नरेगा से 500 परीवारो के यहाँ व्यक्तिगत हित के कार्य करवाए! वागधारा के साथ कृषी विज्ञान केंद्र से संपर्क कर मुर्गी पालन व बकरीपालन व्यावसायो में 100 लोगों को प्रशिक्षण दिलवाया! 350 लोगों को टपक सिंचाई पध्दति से जोडा ! लोगो के मध्य नविनतम कृषी तकनीक को प्रसारित करने में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा! इन्होने अपने खेत पर भी बगीचा लगाया! बगीचे में इन्होने जैविक खेती, फलदार पौधे, मिश्रित खेती एवं कृषी वानिकी पर अभिनव प्रयोग किया! अब आस पास के लोग जो गुजरात मजदूरी हेतू जाते हैं, उनको अपना बगीचा दिखाकर गाव मे ही रुककर खेती सुधारने हेतू प्रेरीत करते हैं और बालक - बालिकाओ की शिक्षा पर जोर देकर बाल मजदूरी रोकने हेतु भी उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं! श्री अमृतलाल पटेल के अभिनव प्रयास सभी ग्रामवासियो एवं स्वयसेवको के लिये अनुकरणीय है!
दक्षिणी राजस्थान में बासवाडा जिले के आदिवासी बाहुल्य आनंदपुरी ब्लाँक के गाव मुन्द्री के रहनेवाले श्री अमृतलाल पटेल परिश्रम एवं दृढ निश्चय के प्रतीक बने हूए है! अमृतलाल पटेल के परीवार मे 8 सदस्य हैं और परीवार के आजिविका हेतू वर्षाआधारीत मात्र 5 बिघा कृषी भूमि हैं उसमे मक्का ,तुवर का उपज अमृतलाल करते है! अपने विगत दिनों के बारे में बताते हूए अमृतलाल कहते है कि मुझे मेरे गरीब परिस्थितियों के कारण रोजगार हेतु मात्र 14 वर्ष की आयु में गुजरात जाना पडा और 20 वर्ष की आयु में मेट बन गए! और 14 से 25 वर्ष की आयु के किशोर युवको को कृषी कार्य हेतू अहमदाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाने लगे! उससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती थी ! परंतु मन दुखी हो जाता था ,कि गाव के बच्चे स्कुल में पाठशाला में नहीं जा पा रहे हैं!
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