- बीएचयू विश्वनाथ मंदिर में किया दर्शन-पूजन व महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर लिया आशीर्वाद
- कहा, रिसर्च, इनोवेशन और छात्रों की सुविधाएं बढ़ाने पर रहेगा जोर, पुराने छात्रों का भी लेंगे सहयोग
वाराणसी (सुरेश गांधी) बीएचयू के नवागत कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने विश्वविद्यालय के 28वें कुलपति के रूप में शुक्रवार को पदभार ग्रहण किया। इसके पहले प्रो. जैन ने बीएचयू विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इसके बाद केंद्रीय कार्यालय पहुंचकर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया। बता दें, आईआईटी गांधीनगर के निदेशक प्रो. जैन 13 नवंबर को बीएचयू के कुलपति के रूप में नियुक्त किए गए थे। पदभार संभालने के बाद प्रो जैने ने कहा कि वे सबके सहयोग से विश्वविद्यालय के विकास के लिए संकल्पित है। इसमें वह वर्तमान और पुरातन छात्रों का भी सहयोग लेंगे।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बीएचयू में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना बड़ी चुनौती होगी। सभी के सहयोग से मरीजो को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराई जाएंगी और इसके लिए बीएचयू अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर सहित अन्य जगहों पर जो भी सुविधाएं होंगी उसकी नियमित मॉनीटरिंग की जाएगी। जिससे कि दूरदराज से आने वाले मरीजों को परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि बीएचयू के पास पुरातन छात्रों की एक लंबी शृंखला है। देश-विदेश में विभिन्न पदों पर बैठे चार से पांच लाख पुरातन छात्र के सहयोग से विश्वविद्यालय का विकास किया जाएगा। प्रो जैन ने कहा कि बदलते समय के साथ-साथ तकनीकी रूप से भी दक्ष होना बहुत जरूरी है और बीएचयू में तकनीकी विकास के दृष्टिकोण से भी काम कराए जाएंगे। तकनीकी रूप से भी विश्वविद्यालय को दक्ष करना का प्रयास किया जाएगा जिससे कि रिसर्च और इनोवेशन के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया जा सके। प्रो जैन ने कहा कि छात्र किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए हृदय होते हैं। उनसे बड़ा रोल मॉडल कोई नहीं होता है। उनसे ही विश्वविद्यालय की पहचान होती है, ऐसे में छात्रों को अलग-अलग माध्यमों से विश्वविद्यालय से जोड़े रखना प्राथमिकता होगी। उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों और शिक्षकों को पूरी सजगता, सतर्कता और पारदर्शिता के साथ काम करते रहने की बात कहते हुए कहा कि निश्चित ही वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट है इसको दूर करने के लिए पुरातन छात्रों से दान की भी अपील की गई है। इसके लिए एक बैंक अकाउंट भी खुलवा दिया गया है जिससे कि पुरातन छात्र उसमें अपनी इच्छा के अनुरूप सहयोग कर सकें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि जिस तरह से महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने दान लेकर विश्वविद्यालय को बनवाया उसी तरह छात्रों का सहयोग मिलेगा।
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