अगर आप परिवार के साथ रहते हैं तो ऐसे गाने सुनिए जो प्रेरणादायक हो। या फिर खुशी मनाने की बात करते हो। संगठन-प्रेरक गाने भी संयुक्त परिवार में सुनने में अच्छे लगते हैं। सुबह-सुबह घर के लिविंग-रूम में प्रेरणादायक गाने या भजन बजाइए। अच्छे गाने घर में अच्छा माहौल बनाते हैं और घर के माहौल को हल्का रखते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रहता है। आप घर में अक्सर संगीत की ‘‘बैठक’’ लगा सकते हैं और अंताक्षरी जैसे पुराने खेलों को पुनर्जीवित करके नयी शुरुआत कर सकते हैं। कभी-कभी बदलाव के लिए अपनी पसंद के फिल्मी अथवा एल्बम संगीत पर आप सब मिलकर डांस कर सकते हो। इस प्रकार एक्सर्साइज़ भी हो जाएगी और आप ऊर्जा महसूस करेंगे। इस प्रकार साथ डांस करने से एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्धता की भावना का विकास होगा। अकेले रह रहे लोगो के बारे में राज ने बताया, “समस्या तो तब होती है जब आप लॉक-डाउन के समय कहीं अकेले फंस गए हो। ऐसे में बेचैनी की स्तर बहुत बढ़ जाता है और आपको आपको स्थिर रखने में बहुत बहुत समस्या हो सकती है। ऐसे में संगीत बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। अगर आपको वाद्य यंत्र बजाना आता है तो उसकी प्रैक्टिस करिए और अपनी प्रतिभा को निखारिए। कराओके ट्रेक्स के साथ प्रैक्टिस करके आप अपनी गायन विद्या को निखार सकते हैं। यूट्यूब के अलावा कई सारे मोबाइल एप्प्स भी कराओके सिंगिंग के लिए गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है जिन पर सारे बॉलीवुड गानों और प्रसिद्ध भजनो के कराओके ट्रेक उपलब्ध हैं। भारतीय संगीत बहुत ही वृहद है। जितना सीखेंगे उतना ही कम लगेगा। अब तो ऑनलाइन का ज़माना है तो आप ऑनलाइन अपनी पसंद का वाद्य-यंत्र भी सीख सकते हो और लॉक-डाउन के समय का सदुपयोग सीखने में कर सकते हो।”
रियाज़ के प्रभाव से शारीरिक स्वस्थ्य होने वाले फ़ायदों के बारे में महाजन ने बताया, “संगीत से आप अपने इम्यूनिटी भी बढ़ा सकते है। गायन के रियाज़ से सीधा फायदा फेफड़ों को होता है और फेफड़ो में मजबूती आती है। पेट के रोग में भी रियाज़ काफी कारगर है। अपने गले के स्केल के अनुसार पहले ‘‘सा’’ स्वर पर रियाज़ करें। यह रियाज़ कम से कम 15 मिनट का होना चाहिए। फिर सा से नीचे के स्वरों पर रियाज़ करें और फिर उच्च स्वरों की रियाज़ करें। मंद्र और तार सप्तम का रियाज़ सेहत के लिए अति-उत्तम है। ध्यान रहे, अचानक स्वर परिवर्तन नहीं होना चाहिए। एक-एक करके ऊपर और नीचे के स्वर बढ़ाने चाहिए। अचानक स्वर परिवर्तन करने से गले को नुकसान हो सकता है। सुरों का रियाज़ आकार प्रकार, ॐ प्रकार, ई प्रकार, हमिंग प्रकार में करना चाहिए। ॐ के रियाज़ से गले और फेफड़ों में ऊर्जा उत्पन्न होगी और गले और फेफड़ों के विकारों को दूर करेगी और पेट के रोगों में फायदा मिलता है। रक्तचाप के लिए भी ॐ का रियाज़ बहुत अच्छा होता है। हम्मिंग के रियाज़ से नाक, कान और गले के विकार दूर होते हैं। जुकाम के मरीजों के लिए हम्मिंग का रियाज़ बहुत ही कारगार है। आकार के रियाज़ से गले, फेफड़े और पेट के विकारों में फायदा मिलता है। ई प्रकार के रियाज़ से गले में फायदा मिलता है। सभी प्रकार के रियाज़ों में उचित और संतूलित आहार लेना बहुत ज़रूरी है क्योंकि अच्छे रियाज़ के बाद भूख ज़रूर लगती है।” साथ ही राज ने बताया, “इन सभी प्रकार के रियाज़ों से मानसिक विकार दूर होते है। एकाग्रता बढ़ती है, अनिद्रा, बेचैनी और भय दूर होता है। नींद अच्छी आती है। रियाज़ अकेले अथवा समूह में किया जा सकता है।”
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