देश के वरिष्ठ संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ ईश्वर गिलाडा ने सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) को बताया कि बूस्टर लगाने से ज़्यादा बड़ी जन स्वास्थ्य प्राथमिकता यह है कि जिन लोगों को टीके की पहली खुराक तक नहीं मिली है उनका टीकाकरण हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल के अंत तक बूस्टर न लगाने की अपील की परंतु अमीर देशों ने अपनी आबादी में बूस्टर पर बूस्टर लगाए। जर्मनी, इसराइल, इंगलैंड जैसे देशों में आबादी को चौथी खुराक लग रही है। आज यह हाल है कि हर 4 में से 1 वैक्सीन खुराक, बूस्टर की तरह लग रही है। 126 देशों में बूस्टर खुराक नीतिगत तरीक़े से लग रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बूस्टर लगाने वाले अनेक देश ऐसे हैं जहां आबादी के 30% का पूरा टीकाकरण तक नहीं हुआ है। ज़ाहिर है कि यदि समझदारी से टीकाकरण होगा तो पहले उन लोगों को प्राथमिकता मिलेगी जिनको पहली खुराक भी न मिली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की जनवरी २०२२ बैठक में बूस्टर से सम्बंधित सभी साक्ष्य देखे गए। अभी पर्याप्त ठोस प्रमाण तो नहीं है पर प्रारम्भिक वैज्ञानिक शोध प्रमाण आ रहे हैं कि जिन लोगों को कोविड का ख़तरा अधिक है और जिनकी समय के साथ टीके से मिलने वाली सुरक्षा कमजोर पड़ सकती है उनको बूस्टर मिलने से लाभ मिले। पर बूस्टर लगाने से कितनी समय अवधि तक लाभ रहेगा आदि अनेक ऐसे अहम मुद्दे हैं जिस पर अभी ठोस प्रमाण आने बाक़ी हैं। कुछ शोध ने यह दिखाया है कि पूरे टीकाकरण के बाद, बीतते समय के साथ टीके से प्राप्त प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि बूस्टर लगाने से पहले तीन तथ्यों पर विचार करना ज़रूरी है:
- व्यक्ति की उम्र क्या है क्योंकि उम्र के साथ सह-रोग होने का ख़तरा बढ़ता है, और क्या व्यक्ति कोई ऐसी दवा ले रहा है जिससे शरीर कि प्रतिरोधक क्षमता कम होती है?
- कौन से कोरोना वाइरस के वेरीयंट/ प्रकार का ख़तरा अधिक है: वैक्सीन की सुरक्षा विभिन्न प्रकार के कोरोना वाइरस के खिलाफ अलग है - उदाहरण के रूप में ओमाइक्रॉन प्रतिरोधक क्षमता से बच सकता है
- विभिन्न वैक्सीन में भिन्नता है जैसे कि किस स्तर तक ऐंटीबाडी बनेंगी, प्रतिरोधक क्षमता कब तक कारगर रहेगी, आदि।
डॉ स्वामीनाथन ने कहा कि इस समय यह बहुत बड़ी प्राथमिकता है कि जिन लोगों को अभी तक एक भी टीके की खुराक नहीं मिली है उनका पूरा टीकाकरण हो, और साथ-ही-साथ जिन लोगों को कोविड का ख़तरा अत्याधिक है उनकी रक्षा हो सके। हालाँकि पिछले एक साल में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ा है पर इस साल २०२२ में आशा है कि वैक्सीन उत्पादन इस स्तर पर हो सके कि सबको बूस्टर मिले। अभी फ़िलहाल यह श्रेयस्कर है कि सबका पूरा टीकाकरण हो, और जिन लोगों को ख़तरा अधिक है उन्हें पहले बूस्टर मिले। कोविड टीकाकरण और संक्रमण नियंत्रण से यह सम्भव है कि कोविड से कारण जो स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव पड़ता है वह समाप्त हो, अस्पताल में भर्ती, ऑक्सिजन-वेंटिलेटर, आईसीयू की ज़रूरत आदि कम पड़े और मृत्यु दर में गिरावट आए। वाइरस से निजात शायद इतनी जल्दी न मिले पर यह सम्भव है कि दुनिया में सबका टीकाकरण हो जाए तो वाइरस से संक्रमित होने पर गम्भीर रोग होने का ख़तरा बहुत कम रहेगा, अस्पताल में भर्ती की ज़रूरत कम पड़ेगी, ऑक्सिजन-वेंटिलेटर-आईसीयू की आवश्यकता कम होगी और मृत्यु का ख़तरा भी कम रहेगा। संक्रमण नियंत्रण को अधिक कार्यसाधकता से लागू करके यह भी मुमकिन है कि लोग संक्रमित होने से बचें।
शोभा शुक्ला और बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(शोभा शुक्ला और बॉबी रमाकांत, सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) और आशा परिवार से जुड़े हैं
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