पटना 25 जनवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में संशोधन की मांग व ग्रुप डी की होने वाली परीक्षा में बोर्ड के नए तुगलकी फरमान के खिलाफ आंदोलनरत अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, मुकदमा व कई अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. साथ ही, मोदी सरकार द्वारा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से रेलवे की नौकरियों को खत्म कर उसे प्राइवेट सेक्टर के हवाले करने के खिलाफ उठ खड़े हुए इस व्यापक छात्र-युवा आंदोलन का स्वागत किया है. 2019 में रेल मंत्रालय द्वारा जारी 35277 पदों के लिए हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा का पीटी रिजल्ट 14 जनवरी 2022 को आया. पीटी के रिजल्ट में पदों के 20 गुना रिजल्ट जारी करने की बात थी. इस लिहाज से 7 लाख रिजल्ट आने चाहिए था. रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही जारी किया, लेकिन इसमें तकरीबन 4 लाख रिजल्ट ऐसे हैं जिनमें कोई एक अभ्यर्थी दो से अधिक, यहां तक कि 7 पदों पर सफल हुआ है. इस तरह वास्तविकता में महज 2 लाख 76 हजार रिजल्ट ही जारी हुआ है. अभ्यर्थियांे की मांग एकदम जायज है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी का ही रिजल्ट देना चाहिए. इससे साफ प्रतीत होता है कि रेलवे ने जितनी वैकेंसी निकाली थी, उतनी बहाली नहीं कर रही है. अभ्यर्थी सरकार के इस खेल को समझ रहे हंै. दूसरा मामला ग्रुप डी की परीक्षा की है. इसमें 1 लाख 37 हजार पदों पर बहाली होनी है, जिसपर तकरीबन 1 करोड़ आवेदन आए हैं. यह अपने आप में देश में बढ़ती बेरोजगारी की दर को दिखला रहा है, जहां ग्रुप डी के पदों के लिए भी भारी मारामारी है. पहले के नोटिफिकेशन में इस परीक्षा में केवल पीटी परीक्षा लेने की बात कही गई थी, लेकिन अब एक तुगलकी फरमान निकालकर दो परीक्षाओं को आयोजित करने की बात कही जा रही है. सरकार के इस तुगलकी फरमान के खिलाफ ग्रुप डी के भी अभ्यर्थी रेलवे व सड़क जाम में उतर आए हैं. माले राज्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार और 19 लाख रोजगार देने का वादा करने वाली नीतीश सरकार बताए कि उसने छात्र-युवाआंे के लिए अबतक क्या किया है? रोजगार के नए सृजन की बजाए उसमें लगातार हो रही कटौती ने आज छात्र-युवाआंे की जिंदगी व भविष्य को पूरी तरह से अधर में लटका दिया है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस आंदोलन का हर तरह से समर्थन करती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह इन अभ्यर्थियों की मांगों पर अविलंब सुनवाई करे. आरा में भाकपा-माले के विधायक व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, आइसा के बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार; पटना में आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष विकाश यादव, गया में इनौस नेता तारिक अनवर आदि छात्र-युवा नेताओं ने आंदोलन की कमान संभाल रखी है. आइसा-इनौस ने अभ्यर्थियों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ आज कई जगह पर प्रतिवाद के कार्यक्रम भी किए.
मंगलवार, 25 जनवरी 2022
बिहार : आंदोलनरत अभ्यर्थियों का दमन निंदनीय : माले
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें