- भाजपा-जदयू शासन में बिहार को पुराने दौर में ले जाने की हो रही कवायद
- सरकार को चैतरफा घेरने की रणनीति पर हुई चर्चा
- महागठबंधन के अन्य दलों के साथ भी किया जाएगा विचार-विमर्श
माले विधायक दल ने पंचायत चुनाव में संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार, पैसों के बल पर सीटांे की खरीद-बिक्री की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की. कहा कि समाज सुधार यात्रा का ढोंग रचने वाले नीतीश कुमार को इसका जवाब देना होगा कि आखिर क्या वजह है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का लगातार क्षरण होता जा रहा है. गांधी का ग्राम स्वराज का नारा आज खरीद-फरोख्त के व्यवसाय में बदल गया है. इसकी जवाबदेही व जिम्मेवारी राज्य सरकार की ही बनती है. इससे वह भाग नहीं सकती. पंचायत चुनाव पर सरकार को रिव्यू करना चाहिए और इसकी मांग हम सत्र के दौरान करेंगे. किसान आंदोलनांे के दबाव मंे मोदी सरकार को तीनांे कृषि कानून वापस करने पड़े. नीतीश कुमार कहते हैं कि यह तो केंद्र सरकार का मामला था, भला इसमें वे क्या कह सकते हैं? लेकिन हम उनसे कहना चाहते हैं कि पंजाब के किसान यही तो कह रहे थे कि उन्हें बिहार के किसान की हालत में मत पहुंचाइये. बिहार में 2006 में एपीएमसी ऐक्ट खत्म करके नीतीश कुमार ने बिहार के किसानों को बाजार के हवाले छोड़ दिया. बिहार में शायद ही कहीं किसानों का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता हो. हालत यह है कि लोग अपना धान जलाने को विवश हैं. हम मजबूती से बिहार में एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली की मांग उठायेंगे और सरकार को हर तरह से बाध्य करेंगे. नल-जल योजना सहित अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार, कैग की रिपोर्ट में आई गड़बड़ी, मनरेगा में काम, 19 लाख रोजगार, विश्वविद्यालयों में संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार, कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, पोषण आदि सवालों को भी मजबूती से उठाया जाएगा. सरकार के विकास के दावे की पोल तो खुद नीति आयोग की रिपोर्ट ही खोल रहा है. न जाने किस मुंह से सरकार अपनी पीठ खुद ठोक रही है. भाकपा-माले ने ही सबसे पहले बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा था. तथाकथित डबल इंजन की सरकार आज तक यह काम नहीं करवा सकी. इस सच से बचने के लिए भाजपा-जदयू के लोग आपस मंे ही बयानबाजी करते रहते हैं. लेकिन उनकी हकीकत बिहार की जनता जानती है. विधायक दल ने आने वाले दिनों में हर बूथ पर 10 पार्टी मेंबर बनाने का कार्यभार लिया. साथ ही विधायकों के बीच कार्य की सुगमता के लिए विभागों का भी बंटवारा किया गया. बैठक से मुस्लिम महिलाओं की साइबर जगत में विभिन्न ऐप के जरिए टारगेट करने की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा की गई. कहा कि महिलाओं व अल्पसंख्यकों के प्रति भाजपा ने जो माहौल बनाया है, उसी का नतीजा है कि आज हालत इस स्तर तक पहुंच गई है.
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