नयी दिल्ली 09 जनवरी, स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को अगले चरण के समुद्री परीक्षण के लिए रविवार को बार फिर समुद्र में उतारा गया और इस चरण में इसके संचालन तथा युद्ध संबंधी गतिविधियों के जटिल परीक्षण किये जायेंगे। नौसेना के प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि आई एनएस विक्रांत का पहला समुद्री परीक्षण गत अगस्त में किया गया था और उस सयम यह विमानवाहक पोत पांच दिन तक चले परीक्षणों की कसौटी पर खरा उतरा था। इसके बाद इसे अक्टूबर और नवम्बर के दौरान दस दिन के लिए फिर से समुद्र में उतारा गया था और उस सयम इसकी विभिन्न मशीनरियों तथा उडान संबंधी परीक्षण किये गये थे। इनके सफल रहने के बाद विक्रांत को अगले चरण के परीक्षणों के लिए एक बार फिर समुद्र की यात्रा पर भेजा गया है। इस चरण में विमानवाहक पोत की विभिन्न परिस्थितयों में प्रदर्शन की रीडिंग ली जायेगी। इस दौरान निगरानी के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की विशाखापत्तनम स्थित प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की टीम भी पोत पर सवार रहेगी। यह देश का अब तक का सबसे विशाल और जटिल युद्धपोत है और इसके 76 फीसदी उपकरण देश में ही बने हैं। इसने बुनियादी उडान संचालन की जरूर को पहली बार में ही सफलतापूर्वक पूरा किया है जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सभी चरणों के परीक्षण पूरा होने के बाद इसे आगामी अगस्त में नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने की संभावना है। देश के अभी आजादी का अमृत महोत्सव मनाये जाने में मद्देनजर इसका महत्व और अधिक बढ जाता है। उल्लेखनीय है कि सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पिछले महीने दो सप्ताह के अंतराल में इस विमानवाहक पोत की यात्रा की और इसकी प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए इससे जुड़ी टीमों को बधाई तथा शुभकामनाएं दीं।
रविवार, 9 जनवरी 2022
आई एनएस विक्रांत परीक्षण के लिए एक बार फिर उतरा समुद्र में
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