प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए यह कार्यक्रम भारत की आजादी के 75वें साल पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए शुरू किया गया है। आयुष मंत्रालय ने सामूहिक प्रदर्शन के इस कार्यक्रम में न सिर्फ अन्य मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों, बल्कि वैश्विक योग समुदाय के सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल किया है। योग का सार्वभौमिक आकर्षण सूर्य नमस्कार में और अधिक परिलक्षित होता है। जिस प्रकार सूर्य सभी सजीव प्राणियों की जीवन शक्ति का स्रोत है, उसी तरह सूर्य नमस्कार मानवीय जीवन शक्ति की बिना दुष्प्रभाव वाली एक निश्चित खुराक है। दुनिया यह महसूस कर रही है कि कोविड-19 के संक्रमण के दोबारा उभार से निपटने के लिए जीवन शक्ति और मजबूत आंतरिक प्रतिरोधक क्षमता सबसे जरूरी आवश्यकताएं हैं और इस वजह से, सूर्य नमस्कार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यही कारण है कि हमने इस कार्यक्रम के लिए केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और सभी प्रमुख योग संस्थानों एवं योग गुरुओं सहित सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल किया है। हमारा दृष्टिकोण सिर्फ एक बार के कार्यक्रम तक सीमित नहीं है क्योंकि आयुष मंत्रालय कार्य संबंधी रणनीतियों के डिजाइन और कार्यान्वयन, दोनों के बीच तालमेल और निरंतरता पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए एक स्थायी प्रभाव पैदा करने में विश्वास करता है। 14 जनवरी को होने वाला योग प्रदर्शन का यह कार्यक्रम भी एक किस्म की निरंतरता का हिस्सा है और यह बात मैंने हैदराबाद में भी उस समय कही थी जब हमने हाल ही में 75 करोड़ सूर्य नमस्कार के आयोजन की पहल की थी। सूर्य नमस्कार 12 चरणों में किए जाने वाले आठ आसनों का एक संयोजन है। इन आसनों की खूबी यह है कि इन्हें सभी आयु वर्ग के लोग बिना किसी कठिनाई के कर सकते हैं और इन 12 चरणों के नियमित अभ्यास से मानव शरीर की संपूर्ण प्रणाली स्वास्थ्य पर होने वाले बाहरी हमलों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हो जाती है। मैं यहां नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से होने वाले लाभों के विस्तार में नहीं जाऊंगा, लेकिन सिर्फ इतना याद दिलाना चाहूंगा कि सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने वाला मेरे जैसा व्यक्ति पूरे दिन खुद को ऊर्जावान और समग्र रूप से स्वस्थ महसूस करता है। इस प्रकार, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर होने वाले व्यक्तिगत और राष्ट्रीय व्यय की काफी हद तक बचत होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह मकर संक्रांति, सूर्य और सूर्य नमस्कार जैसे ऊर्जा के प्राकृतिक संसाधनों को हमारा सबसे अच्छा और भरोसेमंद साथी बनाने के वैश्विक समुदाय के एक नए संकल्प की शुरुआत करेगी और इस दोस्ती को आगे आने वाले दिनों में भी जारी रखने का प्रयास करेगी। यह कदम हमारी धरती के लिए कई तरह से मददगार साबित होगा।
श्री सर्बानंद सोनोवाल
लेखक, केन्द्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री हैं
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