बिहार : अशोक को निशाना बनाया जाना, संघ के इतिहास प्रोजक्ट का हिस्सा : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 19 जनवरी 2022

बिहार : अशोक को निशाना बनाया जाना, संघ के इतिहास प्रोजक्ट का हिस्सा : माले

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पटना 19 जनवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मौर्य साम्राज्य के शासक अशोक के बारे में दया प्रकाश सिंह की हाल की पुस्तक को तथ्यों से परे और दुर्भावना से प्रेरित बताया है. फजीहत होने के बाद भाजपा चाहे जितना दावा कर ले कि दया प्रकाश सिंह उनके संगठन से जुड़े नहीं है, लेकिन सच यही है कि यह हमला आरएसएस के इतिहास प्रोजेक्ट का ही एक हिस्सा है. जिसमें पहले मुस्लिम शासकों को निशाना बनाया गया और अब दलित-पिछड़े समुदाय से आने वाले शासकों को निशाने पर लिया जा रहा है. ऐतिहासिक तथ्य यह है कि अपने प्रारंभिक जीवन में सत्ता पर कब्जे के खूनी संघर्ष के बाद अशोक में मानवीय बदलाव हुए और उसने अपने धम्म अभियान के जरिए बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार करवाया. उसने उस वक्त के सभी धर्माें-पंथों व विचारों को भी राज्याश्रय दिया और किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया. आजीवक संप्रदाय के लिए भी उसने कई काम किए. उसकी धम्म नीति इतिहास में बिरले मिलती है. वह समाज की समस्याओं व तनावों को हल करने का एक गंभीर प्रयास था. अशोक ने जनकल्याण के भी कई कार्य किए और उसने बेहद उदार रूख अपनाया. आरएसएस का संघी प्रोजेक्ट दो कारणों से अशोक को निशाना बना रहा है. पहला तो यह कि बौद्ध, जैन अथवा आजीविक सपं्रदाय अपने चरित्र में ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन थे और दूसरा यह कि अशोक स्वयं एक पिछड़ी जाति से आते थे. शंुगों के शासन के पहले मगध में पिछड़े समुदाय से आने वाले ही शासकों का शासन रहा. इसलिए जब ब्राह्मणवाद के समर्थक शुंगों ने मगध पर कब्जा किया तब उसने बड़ी संख्या में बौद्धों का कत्लेआम रचवाया था. यही उदार चरित्र अकबर के शासन में भी दिखता है, जब वह सभी धर्मों के प्रति समान भाव अपनाता है. औरंगजेब को कट्टर कहकर संघी प्रोजेक्ट ने हमेशा निशाने पर रखा है, लेकिन वह ये नहीं बताते कि औरंगजेब के जमाने में मनसबदारी व्यवस्था में सबसे ऊंचे ओहदे पर हिंदु ही थे. भाजपा व संघ परिवार के द्वारा दलित-पिछड़े समुदाय व अल्पसंख्यकों पर आज की तारीख में लगातार हमले जारी ही हैं और अब वे इतिहास के अंदर भी घुसकर यह काम कर रहे हंै. इतिहास के मिथ्याकरण व भाजपा द्वारा अपने हिसाब से इतिहास के इस्तेमाल की इजाजत कभी नहीं दी जा सकती. अशोक जैसे शासकों से तमाम धर्मों के प्रति राज्य के एक समान दृष्टिकोण की अवधारणा व व्यवहार से कुछ सबक लेने के बजाए हमला इसलिए हो रहा है क्योंकि अशोक संघ के इतिहास प्रोजेक्ट में फिट नहीं बैठते.

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